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________________ ३३६ प्रज्ञापना सूत्र परिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालिय सरीरे णं भंते! कइविहे पण्णते? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य भुयपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार है-उर:परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर और. भुजपरिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर। उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालिय सरीरे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - सम्मुच्छिम उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य गब्भवक्कंतिय उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! उर:परिसर्प स्थलचर-तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! उर:परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर दो प्रकार का कहा गया है, जैसे सम्मूछिम-उर:परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर और गर्भज उर:परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर। . सम्मुच्छिमे दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - अपजत्त सम्मुच्छिम उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य पजत्त सम्मुच्छिम उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य। भावार्थ - सम्मूछिम उर:परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार है-अपर्याप्तक सम्मूछिम उर:परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर और पर्याप्तक सम्मूछिम उर:परिसर्प स्थलचर तिर्यंच योनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004095
Book TitlePragnapana Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages412
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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