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बीसवां अन्तक्रिया पद - तीर्थंकर द्वार
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उत्तर - हे गौतम! उनमें से कोई तीर्थंकरत्व प्राप्त करता है और कोई प्राप्त नहीं कर पाता है।
प्रश्न - हे भगवन् ! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं कि रत्नप्रभा पृथ्वी का नैरयिक सीधा मनुष्य भव में उत्पन्न होकर कोई तीर्थंकरत्व प्राप्त कर लेता है और कोई प्राप्त नहीं कर पाता है ? '
उत्तर - गौतम! जिस रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक ने पहले कभी तीर्थंकर नाम-गोत्र कर्म बद्ध किया है, स्पृष्ट किया है, निधत्त किया है, प्रस्थापित, निविष्ट और अभिनिविष्ट किया है, अभिसमन्वागत (सम्मुख आगत) है, उदीर्ण - उदय में आया है, उपशान्त नहीं हुआ है, वह रत्नप्रभापृथ्वी का नैरयिक रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकों में से उत्त होकर सीधा मनुष्य भव में उत्पन्न होकर तीर्थंकरत्व प्राप्त कर सकता है, किन्तु जिस रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक के तीर्थंकर नाम-गोत्र कर्म बद्ध नहीं होता यावत् उदीर्ण नहीं होता, उपशान्त होता है, वह रत्नप्रभापृथ्वी का नैरयिक रत्नप्रभापृथ्वी से निकल कर सीधा तीर्थंकरत्व प्राप्त नहीं कर सकता है।
इसलिए हे गौतम! ऐसा कहा जाता है कि कोई नैरयिक तीर्थंकरत्व प्राप्त करता है और कोई प्राप्त नहीं कर पाता है।
एवं जाव वालुयप्पभा पुढवी जेरइएहितो तित्थगरत्तं लभेजा।
भावार्थ - इसी प्रकार यावत् वालुकाप्रभापृथ्वी के नैरयिकों में से निकल कर कोई नैरयिक मनुष्य भव प्राप्त करके सीधा तीर्थंकरत्व प्राप्त कर लेता है और कोई नैरयिक नहीं प्राप्त करता है।
विवेचन - प्रस्तुत प्रसङ्ग में इन से आशय यही है कि रत्नप्रभा आदि तीन नरक पृथ्वियों के जिस नैरयिक ने पूर्वकाल में तीर्थंकर नाम कर्म का बन्ध किया है और बांधा हुआ वह कर्म उदय में आया है, वही नैरयिक तीर्थंकर पद को प्राप्त करता है। जिस नैरयिक ने पूर्वकाल (पूर्वभव) में तीर्थंकर नाम कर्म का बन्ध ही नहीं किया अथवा बन्ध करने पर भी जिसके उसका अभी उदय नहीं हुआ वह तीर्थंकर पद प्राप्त नहीं कर सकता।
पंकप्पभा पुढवी जेरइए णं भंते! पंकप्पभा पुढवी णेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता तित्थगरत्तं लभेजा?
गोयमा! णो इणद्वे समटे, अंतकिरियं पुण करेजा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! पंकप्रभापृथ्वी का नैरयिक पंकप्रभापृथ्वी के नैरयिकों में से निकल कर क्या सीधा तीर्थंकरत्व प्राप्त कर लेता है ?
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है, किन्तु वह अन्तक्रिया कर सकता है। अर्थात् तीर्थंकर पद प्राप्त किये बिना सामान्य केवली बनकर अन्तक्रिया (मोक्ष प्राप्ति) कर सकता है।
धूमप्पभा पुढवी जेरइए पुच्छा?
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