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सत्तरहवाँ लेश्या पद-द्वितीय उद्देशक - विविध लेश्या वाले चौबीस.....
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन तेजो लेश्या वाले ज्योतिषी देवों-देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े तेजो लेश्या वाले ज्योतिषी देव हैं, उनसे तेजो लेश्या वाली ज्योतिषी देवियां संख्यात गुणी हैं।
एएसि णं भंते! वेमाणियाणं देवाणं तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखिज गुणा, तेउलेस्सा असंखिज गुणा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन तेजो लेश्या वाले, पद्म लेश्या वाले और शुक्ल लेश्या वाले वैमानिक देवों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं?
उत्तर - हे गौतम! सबसे कम शुक्ल लेश्या वाले वैमानिक देव हैं, उनसे पद्म लेश्या वाले असंख्यात गुणा हैं और उनसे भी तेजो लेश्या वाले देव असंख्यात गुणा हैं। - एएसि णं भंते! वेमाणियाणं देवाणं देवीण य तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखिज गुणा, तेउलेस्सा असंखिज गुणा, तेउलेस्साओ वेमाणिणीओ देवीओ संखिजगुणाओ ॥४९४॥ . . .
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन तेजो लेश्या वाले, पद्म लेश्या वाले और शुक्ल लेश्या वाले वैमानिक देवों और देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे कम शुक्ल लेश्या वाले वैमानिक देव हैं, उनसे पद्म लेश्या वाले असंख्यात गुणा हैं, उनसे तेजो लेश्या वाले वैमानिक देव असंख्यात गुणा हैं, उनसे तेजो लेश्या वाली वैमानिक देवियाँ संख्यात गुणी हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में वैमानिक देव देवी संबंधी अल्पबहुत्व कहा गया है, जो इस प्रकार हैसबसे थोड़े शुक्ल लेश्या वाले वैमानिक देव हैं क्योंकि लान्तक आदि देवों में ही शुक्ल लेश्या होती है और वे उत्कृष्ट से भी श्रेणी के असंख्यातवें भाग प्रदेश राशि परिमाण है.। उनसे पद्म लेश्या वाले असंख्यात गुणा हैं क्योंकि सनत्कुमार माहेन्द्र और ब्रह्मलोक कल्पवासी सभी देवों को पद्म लेश्या होती है और वे श्रेणि के अत्यंत बड़े असंख्यातवें भाग के आकाश प्रदेश प्रमाण है। यानी असंख्यात गुणा
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