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सोलहवां प्रयोग पद - गति प्रपात के भेद-प्रभेद
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक क्षेत्रोपपात गति कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिक क्षेत्रोपपात गति सात प्रकार की कही गई है - रत्नप्रभापृथ्वी नैरयिक क्षेत्रोपपात गति यावत् अधस्तनसप्तमपृथ्वी नैरयिक क्षेत्रोपपात गति। यह नैरयिक क्षेत्रोपपात गति की प्ररूपणा हुई।
से किं तं तिरिक्खजोणिय खेत्तोववाय गई?
तिरिक्खजोणिय खेत्तोववाय गई पंचविहा पण्णत्ता। तंजहा - एगिदिय तिरिक्ख जोणिय खेत्तोववाय गई जाव पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिय खेत्तोववाय गई। से तं तिरिक्ख जोणिय खेत्तोववाय गई २।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! तिर्यंच योनिक क्षेत्रोपपात गति कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! तिर्यंच योनिक क्षेत्रोपपात गति पांच प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार है- . १. एकेन्द्रिय तिर्यंच योनिक क्षेत्रोपपात गति २. बेइन्द्रिय तिर्यंच योनिक क्षेत्रोपपात गति ३. तेइन्द्रिय तिर्यंच योनिक क्षेत्रोपपात गति ४. चतुरिन्द्रिय तिर्यंच योनिक क्षेत्रोपपात गति और ५. पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक क्षेत्रोपपात गति। यह तिर्यंच योनिक क्षेत्रोपपात गति का निरूपण हुआ।
से किं तं मणूस खेत्तोववाय गई?
मणूस खेत्तोववाय गई दुविहा पण्णत्ता, तंजहा - संमुच्छिम मणूस खेत्तोववाय गई, गब्भवक्कंतिय मणूस खेत्तोववाय गई।सेत्तं मणूस खेत्तोववाय गई ३। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! वह मनुष्य क्षेत्रोपपात गति कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! मनुष्य क्षेत्रोपपात गति दो प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार है - १. सम्मूछिम-मनुष्य-क्षेत्रोपपात गति और २. गर्भज-मनुष्य-क्षेत्रोपपात गति। यह मनुष्य क्षेत्रोपपात गति का प्रतिपादन हुआ।"
से किं तं देव खेत्तोववाय गई?
देव खेत्तोववाय गई चउव्विहा पण्णत्ता। तंजहा - भवणवई खेत्तोववाय गई जाव वेमाणिय देव खेत्तोववाय गई। सेत्तं देव खेत्तोववाय गई ४॥४६८॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! वह देव क्षेत्रोपपात गति कितने प्रकार की है?
उत्तर - हे गौतम! देव क्षेत्रोपपात गति चार प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार हैं - १. भवनपति देव क्षेत्रोपपात गति २. वाणव्यन्तर देव क्षेत्रोपपात गति ३. ज्योतिषी देव क्षेत्रोपपात गति और ४. वैमानिक देव क्षेत्रोपपात गति। यह देव क्षेत्रोपपात गति का निरूपण हुआ।
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