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________________ ९४ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! उनकी बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हैं ? उत्तर - हे गौतम! उनकी बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ नहीं हैं । केवइया पुरेक्खडा ? गोयमा ! णत्थि । प्रज्ञापना सूत्र भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! उनकी पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियाँ कितनी होंगी ? उत्तर - हे गौतम! उनकी पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियाँ नहीं होंगी । एवं मणूसवज्जं जाव गेवेज्जगदेवत्ते । भावार्थ - मनुष्य को छोड़ कर यावत् ग्रैवेयक देवत्व तक के रूप में इसी प्रकार इनकी अतीत आदि द्रव्येन्द्रियों की वक्तव्यता कहनी चाहिए। सत् अतीता अनंता, बद्धेल्लगा णत्थि, पुरेक्खडा संखिजा । भावार्थ - इनकी मनुष्यत्व के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियाँ अनन्त हुई हैं, बद्ध नहीं हैं, पुरस्कृत संख्यात होंगी। विजय वेजयंत जयंत अपराजियदेवत्ते केवइया दव्विंदिया अतीता ? गोयमा ! संखिज्जा । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवत्व के रूप में इनकी अतीत द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हुई हैं ? उत्तर - हे गौतम! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवत्व के रूप में इनकी अतीत द्रव्येन्द्रियाँ संख्यात हुई हैं । केवइया बद्धेल्लगा? गोयमा ! णत्थि । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इनकी बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हैं ? उत्तर - हे गौतम! इनकी बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ नहीं हैं । केवइया पुरेक्खडा ? गोयमा ! णत्थि । Õ3Ó3Ó3Ò‹Ò3Û3Ó3Ó3ÒÒÒÒÒ Jain Education International भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! उनकी पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियाँ कितनी होंगी ? उत्तर - हे गौतम! नहीं होंगी। सव्वसिद्धगदेवाणं भंते! सव्वट्टसिद्धगदेवत्ते केवइया दव्विंदिया अतीता ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004095
Book TitlePragnapana Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages412
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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