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प्रज्ञापना सूत्र
गोयमा ! रइए णेरइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले, पएसट्टयाए तुल्ले, ओगाहणट्टयाए सिय ही सय तुल्ले सिय अब्भहिए। जइ हीणे असंखिज्जइ भागहीणे वा संखिज्जइ भागहीणे वा संखिज्ज गुणहीणे वा असंखिज्ज गुणहीणे वा । अह अब्भहिए असंखिज्जइ भागमब्भहिए वा संखिज्जइ भागमब्भहिए वा, संखिज्ज गुणमब्भहिए वा, असंखिज्ज गुणमब् िवा । ठिए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए। जइ हीणे असंखिज्जइ भागहीणे वा, संखिज्जइ भागहीणे वा, संखिज्ज गुणहीणे वा असंखिज्ज गुणहीणे वा । अह अब्भहिए असंखिज्ज भागमब्भहिए वा, संखिज्ज भागमब्भहिए वा, संखिज्ज गुणमब्भहिए वा, असंखिज्ज गुणमब्भहिए वा ।
कठिन शब्दार्थ - दव्वट्टयाए - द्रव्यार्थ - द्रव्य की अपेक्षा, पसट्टयाए- प्रदेशार्थ - प्रदेशों की अपेक्षा, तुल्ले - तुल्य, ओगाहणट्टयाए - अवगाहना की अपेक्षा, सिय- स्यात् कदाचित्, हीणे - हीन, अब्भहिए - अब्यधिक (अधिक), असंखिज्जइ भागहीणे असंख्यात भाग हीन, संखिज्जइ: भागहीणे - संख्यात भाग हीन, संखिज्ज गुणहीणे - संख्यात गुण हीन, असंखिज्ज गुणहीणे - असंख्यात गुण हीन, असंखिज्जइ भागमब्भहिए- असंख्यात भाग अधिक, संखिज्जगुण मब्धहिए - संख्यात गुण अधिक, अनंत गुणहीणे - अनन्त गुण हीन, अनंतभागमब्भहिए - अनन्त भाग अधिक,
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अत गुणमब्भहिए- अनन्त गुण अधिक, छट्ठाणवडिए - षट् स्थान पतित ।
प्रश्न - हे भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि नैरयिकों के पर्याय अनंत हैं ?
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उत्तर - हे गौतम! एक नैरयिक दूसरे नैरयिक से द्रव्य की अपेक्षा तुल्य है, प्रदेशों की अपेक्षा तुल्य है किन्तु अवगाहना की अपेक्षा कथंचित् (स्यात्) हीन, कथंचित् तुल्य और कथंचित् अधिक हैं। यदि हीन है तो असंख्यात भाग हीन है, संख्यात भाग हीन है, संख्यात गुण हीन है या असंख्यात गुण हीन है। यदि अधिक है तो असंख्यात भाग अधिक है, संख्यात भाग अधिक है, संख्यात गुण अधिक है या असंख्यात गुण अधिक है।
स्थिति की अपेक्षा से (एक नैरयिक दूसरे नैरयिक से) कदाचित् हीन, कदाचित् तुल्य और कदाचित् अधिक है। यदि हीन है तो असंख्यात भाग हीन या संख्यातभाग हीन है अथवा संख्यातगुण ही या असंख्यातगुण हीन है। अगर अधिक है तो असंख्यातभाग अधिक या संख्यातभाग अधिक है, अथवा संख्यातगुण अधिक या असंख्यातगुण अधिक है।
कालवण्णपज्जवेहिं सिय हीणे सिय तुल्ले सिय मब्भहिए। जड़ हीणे अनंत भागहीणे वा, असंखिज्ज भागहीणे वा संखिज्ज भागहीणे वा, संखिज्ज गुणहीणे वा, असंखिज्ज गुणहीणे वा, अणंतगुणहीणे वा । अह अब्भहिए अनंतभागमब्भहिए वा,
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