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दसवां चरम पद - परमाणु पुद्गल आदि के चरम अचरम
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की अपेक्षा से छब्बीस भङ्ग बनते हैं जिनमें से कुछ भङ्ग शून्य हैं अर्थात् पुद्गल में वैसे भङ्गों का संस्थान नहीं बनता है। वे छब्बीस भङ्ग इस प्रकार हैं -
असंयोगी भंग छह - १. चरम एक 010] २. अचरम एक, यह भङ्ग शून्य है ३. अवक्तव्य एक [0]४. चरम बहुत, यह भङ्ग शून्य है ५. अचरम बहुत, यह भङ्ग शून्य है ६. अवक्तव्य बहुत, यह भङ्ग शून्य है।
द्विसंयोगी भंग बारह -
७. चरम एक, अचरम एक
८. चरम एक, अचरम बहुत
९. चरम बहुत, अचरम एक
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१०. चरम बहुत, अचरम बहुत
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११. चरम एक, अवक्तव्य एक-
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१२. चरम एक, अवक्तव्य बहुत *
१३. चरम बहुत, अवक्तव्य एक
. * बारहवें भंग में समसीध में दो आकाश प्रदेशों पर एक-एक प्रदेश अवगाढ़ हैं इन्हीं दो आकाश प्रदेशों में से एक आकाश प्रदेश के ऊपर वाले आकाश प्रदेश पर चार प्रदेशों आदि स्कन्ध का एक प्रदेश अवगाढ़ है तथा दो आकाश प्रदेशों के दूसरे आकाश प्रदेश के नीचे वाले आकाश प्रदेश पर एक प्रदेश अवगाढ़ है। ये दोनों प्रदेश समसीध में नहीं होने से अर्थात् प्रतरान्तर में होने से इन्हें बहुत अवक्तव्य कहा गया है।
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