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छठा व्युत्क्रांति पद - आकर्ष द्वार
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भावार्थ - इसी प्रकार इस अभिलाप से गति नाम निधत्तायु, स्थिति नाम निधत्तायु, अवगाहना नाम निधत्तायु, प्रदेश नाम निधत्तायु और यावत् अनुभाव (अनुभाग) नाम निधत्तायु को बांधने वालों का जान लेना चाहिए। इस प्रकार ये छहों ही अल्पबहुत्व सम्बन्धी दण्डक जीव से आरम्भ करके कहने चाहिए।
विवेचन - एक दो तीन यावत् आठ आकर्ष से जाति नाम यावत् अनुभाग नाम निधत्तायु बंध करने वाले जीवों का अल्प बहुत्व इस प्रकार है - सबसे थोड़े जीव आठ आकर्ष से आयु बंध करने वाले, सात आकर्ष से आयु बंध करने वाले संख्यात गुणा, छह आकर्ष से आयु बंध करने वाले संख्यात गुणा, पांच आकर्ष से आयु बंध करने वाले संख्यात गुणा, इसी तरह क्रमश: चार, तीन, दो और एक आकर्ष से आयुबंध करने वाले उत्तरोत्तर संख्यात गुणा जानना चाहिए। समुच्चय जीव की तरह चौबीस दण्डक कहना चाहिए। एक आकर्ष से बांधने वाले जीव सबसे अधिक है।
शंका - उपर्युक्त एक से आठ आकर्षों से आयु बन्ध करने वाले जीवों में कौन सोपक्रमी या निरुपक्रमी आयु वाले होते हैं?
. समाधान - यद्यपि एक आकर्ष से यावत् आठ आकर्षों से आयुबन्ध करने वाले जीवों में सोपक्रमी और निरुपक्रमी दोनों प्रकार की आयु वाले जीव होते हैं तथापि एक आकर्ष से आयु बांधने वाले जीवों में सोपक्रमी आयु वाले अधिक होते हैं इसी प्रकार आठ आकर्षों से आयु बांधने वाले जीवों में निरुपक्रमी आयुष्य वाले जीव अधिक होते हैं। क्योंकि उपर्युक्त अल्प बहुत्व में आठ आकर्षों से आयु बांधने वाले जीव सबसे थोड़े बताये हैं।
प्रश्न - जीवों के आयुबन्ध का जघन्य यावत् उत्कृष्ट कालमान कितना-कितना समझना चाहिये? . ... उत्तर - 'बंधविहाणं - उत्तरठिईबन्धो' ग्रंथ में जाति नाम कर्म बंध के जघन्य उत्कृष्ट कालमान के ७१ बोलों की अल्प बहुत्व बताई गई है। (अल्प बहुत्व का वर्णन जानने के लिए 'उत्तरठिईबन्धो ग्रंथ' देखना चाहिए) इस प्रकार उपर्युक्वत अल्प बहुत्व में ५० बोल तो संख्यात गुणा के और २० बोल विशेषाधिक के आये हैं।
इस अल्प बहुत्व के सम्बन्ध में आगमज्ञ बहुश्रुत गुरु भगवन्तों का फरमाना है कि - 'आयुबन्ध के कालमान में - जाति नाम बन्ध में' - जाति परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। अर्थात् नरकायु बांधते हुए पंचेन्द्रिय जाति ही बंधेगी दूसरी जाति नहीं बंधेगी। तिर्यंच आयु बांधते हुए यदि पंचेन्द्रिय जाति बंध रही है तो आयु बंध के काल तक पंचेन्द्रिय जाति ही बंधेगी, एकेन्द्रिय जाति नहीं बंधेगी। अतः जाति नाम बंध के उत्कृष्ट काल से बड़ा आयुबन्ध का काल होने की संभावना नहीं है।
अतः आयुबन्ध का कालमान - एकेन्द्रिय के उत्कृष्ट जातिबन्ध जितना भी माना जाय तो इस अल्प बहुत्व में - सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीव के पंचेन्द्रिय जाति के उत्कृष्ट बंध काल के बाद में
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