________________
छठा व्युत्क्रांति पद - कुतो द्वार
२०१
............
जइ सम्मुच्छिम भुयपरिसप्प थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिएहितो उववजंति, किं पजत्तय सम्मुच्छिम भुयपरिसप्प थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिएहितो उववजंति, अपजत्तय सम्मुच्छिम भुयपरिसप्प थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिएहितो उववजंति?
गोयमा! पजत्तएहितो उववजंति णो अपजत्तएहिंतो उववजंति।
भावार्थ - प्रश्न - सामान्य नैरयिक यदि सम्मूछिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या पर्याप्तक सम्मूछिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्तक सम्मूछिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं?
उत्तर - हे गौतम! सामान्य नैरयिक पर्याप्तक सम्मूच्छिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं किन्तु अपर्याप्तक सम्मूच्छिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न नहीं होते हैं।
जइ गब्भवक्कंतिय भुयपरिसप्प थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति किं पजत्तएहितो उववजंति, अपजत्तएहितो उववजंति?
गोयमा! पजत्तएहिंतो उववजंति, णो अपजत्तएहिंतो उववजंति॥३०५॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! सामान्य नैरयिक यदि गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या पर्याप्तक गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्तक गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सामान्य नैरयिक पर्याप्तक गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं किन्तु अपर्याप्तक गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न नहीं होते हैं। ___ जइ खहयर पंचिंदिय-तिरिक्ख जोणिएहितो उववजंति, किं सम्मुच्छिम खहयरपंचिंदिय तिरिक्ख जोणिएहिंतो उववजंति, गब्भवक्कंतिय खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख जोणिएहितो उववजति?
गोयमा! दोहितो वि उववज्जति।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! सामान्य नैरयिक यदि खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या सम्मच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं या गर्भज खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org