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प्रज्ञापना सूत्र
मनुष्य की आयुष्य बंधे हुए जीव नहीं होने के कारण उत्पत्ति के योग्य स्थान होते हुए भी अधिक से अधिक २४ मुहूर्त तक नये जीव सम्मूछिम मनुष्य के रूप में उत्पन्न नहीं होते हैं।
गब्भवक्कंतिय मणुस्सा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता॥ २८७॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! गर्भज मनुष्य कितने काल तक उत्पत्ति रहित कहे गये हैं ? .
उत्तर - हे गौतम! गर्भज मनुष्य का उपपात विरह काल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त का कहा गया है।
वाणमंतरा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहत्ता। भावार्थ-प्रश्न-हे भगवन्! वाणव्यंतर देव कितने काल तक उपपात-उत्पत्ति से रहित कहे गये हैं ?
उत्तर - हे गौतम! वाणव्यंतर देव जघन्य एक समय और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक उत्पत्ति से रहित कहे गये हैं।
जोइसियाणं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! ज्योतिषी देवों का उपपात विरह काल कितना कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! ज्योतिषी देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट चौबीस . मुहूर्त का कहा गया है।
सोहम्मे कप्पे देवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। भावार्थ-प्रश्न - हे भगवन् ! सौधर्म कल्प में देव कितने काल तक उत्पत्ति से रहित कहे गये हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सौधर्म कल्प (पहले देवलोक) में देव जघन्य एक समय और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक उपपात से रहित कहे गये हैं।
ईसाणे कप्पे देवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! ईशान कल्प (दूसरा देवलोक) में देव कितने काल तक उत्पत्ति से रहित कहे गये हैं?
उत्तर - हे गौतम! ईशान कल्प में देव जघन्य एक समय और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक उपपात से रहित कहे गये हैं।
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