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________________ [12] *********** ३४४ ३६४ ३०६ क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या ७. नैरयिक आदि में संवृत्त ५. एक वचन आदि की अपेक्षा आदि योनियां २७३ भाषा निरूपण ३३४ ८. कूर्मोन्नता आदि तीन योनियां २७६ ६. भाषा का स्वरूप ३३८ दसवां चरम पद २८० ७. पर्याप्तक अपर्याप्तक भाषा ३४० ८. पर्याप्तक भाषा के भेद ३४१ १. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका) ९. अपर्याप्तक भाषा के भेद २. लोकालोक की चरम-अचरम १०. भाषक और अभाषक की वक्तव्यता वक्तव्यता ३. लोक-अलोक के चरम-अचरम ३४७ ११. चतुर्विध भाषाजात ३४९ द्रव्य प्रदेशों की अल्पबहुत्व १२. भाषा द्रव्यों के विभिन्न रूप ३५१ .४. परमाणु पुद्गल आदि के १३. भाषा द्रव्यों के भेद चरम अचरम १४. वचन के सोलह प्रकार ३६९ ५. संस्थान की अपेक्षा चरम १५. चार भाषाओं के आराधक अचरम आदि विराधक ३७२ ६. गति आदि की अपेक्षा चरम | १६. सत्यभाषी आदि का अचरम आदि वक्तव्यता अल्पबहुत्व ३७३ ७. गति चरम-अचरम ३१४ बारहवां शरीर पद ३७४-३९८ ८. स्थिति चरम-अचरम ३१६ ९. ३७४ |१. उक्खेवो भव चरम-अचरम २. शरीर के भेद ३७५ १०. भाषा चरम-अचरम . नैरयिक आदि में शरीर प्ररूपणा ३७६ ११. आनापान चरम-अचरम ४. शरीरों के बद्ध-मुक्त भेद . ३७७ १२. आहार चरम-अचरम नैरयिकों के बद्ध-मुक्त शरीर ३८२ १३. भाव चरम-अचरम असुरकुमारों के बद्ध-मुक्त शरीर ३८५ १४. वर्णादि चरम अचरम ७. पृथ्वीकायिकों के बद्ध मुक्त शरीर ३८७ ग्यारहवां भाषा पद ३२२-३७३ ८. वायुकायिकों के बद्ध मुक्त शरीर ३८८ १. उक्खेवो (उत्क्षेप-उत्थानिका) ३२२/९. बेइन्द्रिय आदि के बद्ध मुक्त शरीर ३९० २. चार प्रकार की भाषा ३२२/१०. तिर्यंच पंचेन्द्रियों के बद्ध मुक्त शरीर ३९३ ३. प्रज्ञापनी भाषा ३२६ /११. मनुष्यों के बद्ध-मुक्त शरीर ३९४ ४. मंदकुमार आदि की भाषा ३३१ | १२. वाणव्यंतर आदि के बद्ध मुक्त शरीर ३९६ ३१३ ३१६ ३१७ ३१८ ३१८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004094
Book TitlePragnapana Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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