________________
६०
प्रज्ञापना सूत्र
*
*-*-*-*
-
*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*
*
*
*
*
--
*-*-*
-
*-*-*-*-*-*-*-*-*-**-**
*
*
*
*
*
*
भावार्थ - प्रश्न - प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक जीव कितने प्रकार के कहे गये हैं?
उत्तर - प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक जीव बारह प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. वृक्ष (आम, नीम आदि) २. गुच्छ (बैंगन आदि के पौधे) ३. गुल्म (नवमालिका आदि) ४. लता (चम्पकलता आदि) ५. वल्ली (कूष्माण्डी आदि बेलें) ६. पर्वग (इक्षु आदि पर्व-पोर-गांठ वाली वनस्पति) ७. तृष्ण (कुश, दूब आदि हरी घास) ८. वलय (केतकी कदली आदि) ९. हरित (बथुआ आदि हरी लिलोती) १०. औषधि (गेहूँ आदि धान्य) ११. जलरुह (पानी में उगने वाली कमल, सिंघाड़ा आदि वनस्पति) १२. कुहण (भूमि को फोड कर उगने वाली वनस्पति)। .
विवेचन - बारह प्रकार के प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक जीवों के नाम भावार्थ से स्पष्ट है। कुछ विशेष नामों का अर्थ इस प्रकार है -
गुल्म - नवमालिका आदि पुष्प प्रधान जाति के पौधे को तथा जिसके स्कन्ध तो छोटे हो किन्तु वह बहुत शाखाओं तथा पत्र पुष्प आदि से युक्त हो।
लता - जिसके मध्य स्कन्ध के सिवाय शेष स्थल शाखाएं नहीं होती ऐसी चम्पक लता आदि। . जो प्रायः वृक्षों पर चढ़ जाती है।
बेल - जिसके पत्तों के पास तन्तु लगे हों ऐसी खरबूजों की बेले। जो विशेषतः जमीन पर ही फैलती है।
वलय - जिनकी छाल वलय के आकार की गोल होती है जैसे केतकी कदली आदि।
से किं तं रुक्खा? रुक्खा दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-एगट्ठिया य बहुनीयगा य॥३१॥
कठिन शब्दार्थ - एगट्ठिया - एक अस्थिक (एक बीज वाले) बहुबीयगा - बहुत बीज वाले। भावार्थ - प्रश्न - वृक्ष कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उत्तर - वृक्ष दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - १. एकास्थिक और २. बहुवीजक। विवेचन - प्रश्न - एकास्थिक वृक्ष किसे कहते हैं ?
उत्तर - एक एक फल में एक एक बीज होता है उसे एकास्थिक कहते हैं अथवा एक बीज वाला वृक्ष एकास्थिक वृक्ष कहलाता है। जैसे - आम, बेर आदि।
प्रश्न - बहुबीजक वृक्ष किसे कहते हैं ? उत्तर- ऐसे वृक्ष जिनके फल में बहुत बीज हों, उन्हें बहुबीजक वृक्ष कहते हैं। जैसे-नींबू आदि। से किं तं एगट्ठिया ? एगट्ठिया अणेगविहा पण्णत्ता। तंजहा - णिंबंब-जंबुकोसंब साल अंकुल्ल पीलु सेलू य। सल्लइ मोयइ मालुय बउल पलासे करंजे य॥१॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org