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प्रथम प्रज्ञापना पद - रूपी अजीव प्रज्ञापना
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जे फासओ कक्खड फास परिणता, ते वण्णओ काल वण्ण परिणता वि, णील वण्ण परिणता वि, लोहिय वण्ण परिणता वि, हालिद्द वण्ण परिणता वि, सुक्किल वण्ण परिणता वि। गंधओ सुब्धि गंध परिणता वि, दुब्भिगंध परिणता वि । रसओ तित्त रस परिणता वि, कडुय रस परिणता वि, कसाय रस परिणता वि, अंबिल रस परिणता वि, महुर रस परिणता वि, फासओ गरुय फास परिणता वि लहुय फास परिणता वि, सीय फास परिणता वि, उसिण फास परिणता वि, णिद्ध फास परिणता वि, लुक्ख फास परिणता वि, संठाणओ परिमंडल संठाण परिणता वि, वट्ट संठाण परिणता वि, तंस संठाण परिणता वि, चउरंस संठाण परिणता वि, आयय संठाण परिणता वि २३ ।
भावार्थ - जो स्पर्श से कर्कशं स्पर्श परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्ण वर्ण परिणत भी होते हैं, नील वर्ण परिणत भी होते हैं, रक्त वर्ण परिणत भी होते हैं, पीत वर्ण परिणत भी होते हैं और शुक्लवर्ण परिणत भी होते हैं। गंध से वे सुगंध परिणत भी होते हैं और दुर्गन्ध परिणत भी होते हैं। रस से वे तिक्त रस परिणत भी होते हैं, कटु रस परिणत भी होते हैं, कषाय रस परिणत भी होते हैं, अम्लरस परिणत भी होते हैं और मधुर रस से परिणत भी होते हैं। स्पर्श से वे गुरु स्पर्श परिणत भी होते हैं, लघु स्पर्श परिणत भी होते हैं, शीत स्पर्श परिणत भी होते हैं, उष्ण स्पर्श परिणत भी होते हैं, स्निग्ध स्पर्श परिणत भी होते हैं और रूक्ष स्पर्श परिणत भी होते हैं। इस प्रकार स्पर्श से छह भेद वाले होते हैं। संस्थान से वे परिमंडल संस्थान परिणत होते हैं, वृत संस्थान परिणत भी होते हैं, त्र्यस्त्र संस्थान परिणत भी होते हैं, चतुरंस संस्थान परिणत भी होते हैं और आयत संस्थान परिणत भी होते हैं २३ ।
जे फासओ मयं फास परिणता, ते वण्णओ काल वण्ण परिणता वि, णील वण्ण परिणता वि, लोहिय वण्ण परिणता वि, हालिद्द वण्ण परिणता वि, सुक्किल aण परिणता वि। गंधओ सुब्भि गंध परिणता वि, दुब्भिगंध परिणता वि । रसओ तित्त रस परिणता वि, कडुय रस परिणता वि, कसाय रस परिणता वि, अंबिल रस परिणता वि, महुर रस परिणता वि, फासओ गरुय फास परिणता वि, लहुय फास परिणता वि, सीय फास परिणता वि, उसिण फास परिणता वि, णिद्ध फास परिणता वि, लुक्ख फास परिणता वि, संठाणओ परिमंडल संठाण परिणता वि, वट्ट संठाण परिणता वि, तंस संठाण परिणता वि, चउरंस संठाण परिणता वि, आयय संठाण परिणता वि २३ ।
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