________________
तीसरा बहवक्तव्यता-पद -काय द्वार
३०१
*-*210*40
*
एएसि णं भंते! सुहुमअपज्जत्तगाणं सुहुमपुढविकाइयअपज्जत्तगाणं सुहुमआउकाइयअपजत्तगाणं सुहुमतेउकाइयअपज्जत्तगाणं सुहुमवाउकाइयअपज्जत्तगाणं सुहुमवणस्सइकाइय अपज्जत्तगाणं सुहुम णिओय अपज्जत्तगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा, सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमआउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहमणिओया अपज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा, सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंत गुणा, सुहमा अपज्जत्तगा विसेसाहिया॥१५८॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अपर्याप्तक सूक्ष्म, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक, सूक्ष्म अप्कायिक, सूक्ष्म तेजस्कायिक, सूक्ष्म वायुकायिक, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक और सूक्ष्म निगोद में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? ... उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक सूक्ष्म तेजस्कायिक हैं, उनसे अपर्याप्तक सूक्ष्म पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं, उनसे अपर्याप्तक सूक्ष्म अप्कायिक विशेषाधिक हैं, उनसे अपर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक विशेषाधिक हैं, उनसे अपर्याप्तक सूक्ष्म निगोद असंख्यात गुणा हैं, उनसे अपर्याप्तक सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अनंत गुणा हैं, उनसे अपर्याप्तक सूक्ष्म विशेषाधिक हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में अपर्याप्तक सूक्ष्म जीवों का अल्पबहुत्व कहा गया है।
एएसि णं भंते! सुहुमपज्जत्तगाणं, सुहुमपुढविकाइयपज्जत्तगाणं, सुहुमआउकाइयपज्जत्तगाणं, सुहुमतेउकाइयपज्जत्तगाणं, सुहुमवाउकाइयपज्जत्तगाणं, सुहुमवणस्सइकाइयपज्जत्तगांणं, सुहमणिओयपज्जत्तगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा? .. गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहमआउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सहमणिओया पज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंत गुणा, सुहुमपज्जत्तगा विसेसाहिया॥१५९॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक सूक्ष्म, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक, सूक्ष्म अप्कायिक, सूक्ष्म तेजस्कायिक, सूक्ष्म वायुकायिक, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक और सूक्ष्म निगोद में कौन किनसे अल्प, बहुत तुल्य या विशेषाधिक हैं?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org