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दूसरा स्थान पद सिद्धों के स्थान
योनियों के परिभ्रमण का क्लेश, पुनर्भव और गर्भावास में रहने के प्रपंच से रहित सिद्ध भगवान् शाश्वत अनागत काल तक रहते हैं ।
विवेचन - ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी के बारह नाम हैं। जैसे- १. ईषत् - अल्प, हलकी या छोटी, २. ईषत्प्राग्भारा-अल्प, ३. तनु-पतली, ४. तनुतनु- विशेष पतली ५ सिद्धि ६. सिद्धालय-सिद्धों का घर ७. मुक्ति, ८. मुक्तालय ९ लोकाग्र, १०. लोकाग्रस्तूपिका- लोकाग्र का शिखर ११. लोकाग्रप्रतिबोधना ( प्रतिवाहिनी) - जिसके द्वारा लोकाग्र जाना जाता हो ऐसी और १२. सर्व प्राण, भूत, जीव और सत्त्वों को सुखावह (सुखदाता) ।
सिद्ध भगवन्तों के समीप होने के कारण इस पृथ्वी को सिद्धि, सिद्धालय, मुक्तालय आदि शब्दों से कहा गया है।
प्राणाः द्वित्रिचतुः प्रोक्ताः, भूतास्तु तरवः स्मृताः ।
· जीवाः पंचेन्द्रियाः प्रोक्ताः, शेषा सत्त्वा उदीरिताः ॥
अर्थ - बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों को प्राण कहते हैं, वनस्पति को भूत कहते हैं, पंचेन्द्रिय को जीव कहते हैं। पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय इन चार स्थावरों को सत्त्व कहते हैं। एकेन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक जीव जो वहाँ पृथ्वी आदि रूप से उत्पन्न होते हैं, उन सब जीवों लिए बह ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी सुखदायी होती है क्योंकि वहाँ शीत ताप आदि दुःखों का अभाव है। तत्थ विय ते अवेया, अवेयणा णिम्ममा असंगा य ।
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संसारविप्पमुक्का, पएसणिव्वत्तसंठाणा ॥ १ ॥
वहाँ वे सिद्ध भगवान् वेद रहित, वेदना रहित, ममत्व रहित, संग से रहित, संसार से सर्वथा विमुक्त एवं आत्म-प्रदेशों से बने हुए आकार वाले हैं ॥ १ ॥
कहिँ पsिहया सिद्धा ? कहिं सिद्धा पइट्टिया ?
कहिं बोंदिं चइत्ताणं ? कत्थ गंतूण सिज्झइ ? ॥ २ ॥
भावार्थ सिद्ध कहाँ जाकर रुकते हैं ? सिद्ध कहाँ स्थित होते हैं ? और कहाँ देह को त्याग कर, कहाँ जा कर सिद्ध होते हैं ?
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विवेचन - जीव का स्वभाव ऊर्ध्वगामी है। अतः यह शङ्का उठना सहज है कि सिद्ध हमेशा भ्रमणशील ही रहते हैं या कहीं रुकते हैं ?-यदि रुकते हैं तो रुकने का क्या कारण है ? जिसका निमित्त मिलने पर रुकते हैं, तो क्या उससे टकरा कर वापिस लौटते हैं या कहीं स्थित रहते हैं ? वे जहाँ स्थित होते हैं-वहीं शरीर छोड़ते हैं या अन्यत्र ? अर्थात् उनका जो स्थान है, वहाँ जाकर देह छोड़ते हैं या अन्यत्र ? जहाँ देह त्यागते हैं, वहीं कृतकृत्य हो जाते हैं या अन्यत्र ? प्रायः ऐसी जिज्ञासाएँ इन प्रश्नों के मूल में रही हुई है।
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