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दूसरा स्थान पद - वैमानिक देवों के स्थान
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तेसि णं विमाणाणं बहुमज्झदेसभागे पंच वडिंसया पण्णत्ता, तंजहा - असोग वडिंसए, सत्तवण्ण वडिंसए, चंपग वर्डिसए, चूय वडिंसए, मज्झे इत्थ सोहम्म वडिंसए। ते णं वडिंसया सव्व रयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। एत्थ णं सोहम्मग देवाणं पजत्तापजत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखिज्जइभागे। तत्थ णं बहवे सोहम्मग देवा परिवसंति महिड्डिया जाव पभासेमाणा।
ते णं तत्थ साणं साणं विमाणावास सयसहस्साणं, साणं साणं सामाणिय साहस्सीणं, एवं जहेव ओहियाणं तहेव एएसि पि भाणियव् जाव आयरक्ख देव साहस्सीणं, अण्णेसिं च बहूणं सोहम्मग कप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव विहरंति।
सक्के इत्थ देविंदे देवराया परिवसइ, वजपाणी, पुरंदरे, सयक्कऊ, सहस्सक्खे, मघवं, पागसासणे, दाहिणड्डलोगाहिवई, बत्तीस विमाणावास सयसहस्साहिवई, एरावणवाहणे, सुरिंदे, अरयंबर वत्थधरे, आलइयमालमउडे, णव हेम चारु चित्त चंचल कुंडलविलिहिज्जमाणगंडे, महिड्डिए जाव पभासेमाणे।
से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावास सयसहस्साणं, चउरासीए सामाणिय साहस्सीणं, तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं, अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईणं, चउण्हं चउरासीणं आयरक्ख-देवसाहस्सीणं, अण्णेसिं च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं कुव्वमाणे जाव विहरइ॥१२२॥
कठिन शब्दार्थ - अच्चिमालिभासरासिवण्णाभे - अर्चिमालि - सूर्य के समान प्रकाश पुंज के वर्ण की शोभा वाले।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! पर्याप्तक और अपर्याप्तक सौधर्म देवों के स्थान कहाँ कहे गये हैं ? हे भगवन् ! सौधर्म देव कहाँ निवास करते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मेरु पर्वत के दक्षिण में इस रत्नप्रभा पृथ्वी के बहु सम एवं रमणीय भू भाग से ऊपर चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र तथा तारा रूप ज्योतिषियों के अनेक सौ योजन, अनेक हजार योजन, अनेक लाख योजन, अनेक करोड़ योजन और बहुत कोटाकोटि योजन ऊपर जाने पर सौधर्म नामक कल्प कहा गया है। वह पूर्व पश्चिम में लम्बा, उत्तर दक्षिण में चौड़ा अर्द्ध चन्द्र के
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