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प्रथम प्रज्ञापना पद - प्रस्तावना
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"णिच्छिण्णसव्वदुक्खा, जाइजरामरणबंधण विमुक्का।.
सासयमव्वाबाहं चिटुंति सुही सुहं पत्ता॥"
- सभी दुःखों का अन्त करने वाले, जन्म, जरा और मरण बंधन से मुक्त अव्याबाध सुख को प्राप्त कर स्वाभाविक सुख वाले सिद्ध शाश्वत काल पर्यंत रहते हैं।
जिन्होंने सित यानी बांधे हुए आठ कर्मों को जाज्वल्यमान शुक्लध्यान रूपी अग्नि से ध्यात यानी भस्म (नष्ट) कर डाला है वे सिद्ध हैं तथा जहाँ से लौट कर पुनः यहाँ नहीं आना है ऐसे मोक्ष स्थान को प्राप्त जीव सिद्ध कहलाते हैं एवं जो कृतकृत्य हो चुके हैं वे सिद्ध हैं। अथवा षिधू (शास्त्रे माङ्गल्ये च) धातु शासन और मांगल्य अर्थक होने से इसके दो अर्थ निकलते हैं - जो शास्ता हो चुके हैं जिन्होंने शासन-उपदेश किया है अथवा जिन्होंने मंगलरूपता का अनुभव किया है वे सिद्ध हैं। वे सिद्ध-नित्य हैं क्योंकि उनकी स्थिति अनन्त हैं अथवा भव्य जीवों के लिये उनके गुण जाने हुए होने से जो सिद्ध-प्रसिद्ध है। कहा है कि -
ध्मातं सितं येन पुराणकर्म , यो वा गतो निर्वृति सौधमूनि। ख्यातोऽनुशास्ता परिनिष्ठितार्थो, यः सोस्तु सिद्धः कृतमंगलो मे॥
- जिन्होंने प्राचीन कर्मों को नष्ट कर दिया है जो निर्वाण रूप महल के शिखर पर विराजमान है प्रसिद्ध उपदेष्टा और कृतकृत्य हो चुके ऐसे सिद्ध मेरे लिये मंगलकारी होवें।
नाम आदि के भेद से सिद्ध अनेक प्रकार के हैं। अतः सिद्ध का बोध कराने के लिए विशेषण दिया है - ववगय जरा मरण भए (व्यपगत जरा मरण भयान्) - जो जरा मरण और भय से सदा के लिए मुक्त हो चुके हैं। जरा अर्थात् वय की हानि (वृद्धावस्था), मरण अर्थात् प्राणों का त्याग और भय अर्थात् १. इहलोक भय २. परलोक भय ३. आदान भय ४. अकस्मात् भय ५. आजीविका भय ६. मरण भय और ७. अपयश भय। ___ जिणवरिदं (जिनवरेन्द्रम्) - रागादि शत्रुओं को जीतने वाले "जिन" कहलाते हैं। वे चार प्रकार के हैं - १. श्रुत जिन २. अवधि जिन ३. मन:पर्यव जिन और ४. केवली जिन। यहाँ केवली जिन का ग्रहण करने के लिये 'वर' शब्द का प्रयोग किया गया है। जिनों में जो पदार्थ के भूत, भविष्यत् और वर्तमान स्वभाव के जानने वाले केवलज्ञान से युक्त होने के कारण वर यानी श्रेष्ठ हैं। सामान्य केवली भी जिनवर होते हैं अतः तीर्थंकरत्व सूचक पद बतलाने के लिये 'जिनवर' के साथ 'इन्द्र' विशेषण लगाया है। जिसका अर्थ होता है-जिनवरों के इन्द्र (जिनवरेन्द्र)। अर्थात् अत्यंत गुण समुदाय रूप तीर्थंकर नाम कर्म के उदय वाले तीर्थंकर।
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