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प्रज्ञापना सूत्र
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चेगं जोयणसहस्सं वज्जित्ता मज्झे अट्ठहुत्तरे जोयणसयसहस्से, एत्थ णं दाहिणिल्लाणं णागकुमाराणं देवाणं चउयालीसं भवणावास सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं । तेणं भवणा बाहिं वट्टा जाव पडिरूवा । एत्थ णं दाहिणिल्लाणं णागकुमाराणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता, तिसु वि लोयस्स असंखिज्जइभागे, एत्थ णं दाहिणिल्ला णागकुमारा देवा परिवसंति, महिड्डिया जाव विहरति । धरणे इत्थ णागकुमारिंदे णागकुमारराया परिवसइ, महिड्डिए जाव पभासेमाणे । से णं तत्थ चालीसा भवणावास सयसहस्साणं, छण्हं सामाणिय साहस्सीणं, तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं, छण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिन्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईणं, चडव्वीसाए आयरक्ख देव साहस्सीणं, अण्णेसिं च बहूणं दाहिणिल्लाणं णागकुमाराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं कुव्वमाणे विहरइ ॥ १११ ॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक दक्षिण के नागकुमारों के स्थान कहाँ कहे गये हैं? हे भगवन्! दक्षिण के नागकुमार देव कहाँ निवास करते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! जंबूद्वीप नामक द्वीप में मेरु पर्वत की दक्षिण दिशा में एक लाख अस्सी हजार योजन मोटी इस रत्नप्रभा पृथ्वी के ऊपर एक हजार योजन प्रवेश करके और नीचे एक हजार योजन छोड़ कर एक लाख अठहत्तर हजार योजन परिमाण मध्य भाग में दक्षिण दिशा के नागकुमार देवों के ४४ चंवालीस लाख भवन है ऐसा कहा गया है। वे भवन बाहर से गोल, भीतर से चौरस यावत् प्रतिरूप - सुन्दर है । यहाँ पर्याप्तक और अपर्याप्तक दक्षिण दिशा के नागकुमार देवों के स्थान कहे गये हैं। वे उपपात, समुद्घात और स्वस्थान इन तीनों की अपेक्षाओं से लोक के असंख्यातवें भाग में हैं। यहाँ दक्षिण के नागकुमार देव रहते हैं। वे महाऋद्धि वाले इत्यादि सारा वर्णन यावत् विचरण करते हैं तक जानना चाहिये । यहाँ नागकुमारों का इन्द्र और नागकुमारों का राजा धरण रहता है वह महाऋद्धि वाला इत्यादि सारा वर्णन यावत् प्रभासित (सुशोभित) होता हुआ विचरण करता है। वहाँ वह चंवालीस लाख भवनावासों का, छह हजार सामानिक देवों का, तेतीस त्रायस्त्रिंशक देवों का, चार लोकपालों का, सपरिवार छह अग्रमहिषियों का तीन परिषदों का सात सैन्यों का सात सेनाधिपतियों का, चौबीस हजार आत्म रक्षक देवों का और अन्य बहुत से दक्षिण दिशा के नागकुमार देवों और देवियों का आधिपत्य और अग्रेसरत्व करता हुआ विचरण करता है।
कहि णं भंते! उत्तरिल्लाणं णागकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं ठाणा
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