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प्रज्ञापना सूत्र
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महज्जुइया, महब्बला, महायसा, महाणुभावा, महासोक्खा, हारविराइयवच्छा, कडगतुडिय थंभियभुया, अंगद - कुंडल - मट्ठ गंडतल कण्ण पीढधारी, विचित्त हत्थाभरणा, विचित्तमाला-मउलिमउडा, कल्लाणग पवर वत्थपरिहिया, कल्लाणग पवर मल्लाणु लेवणधरा, भासुरबोंदी, पलंब वणमालधरा ।
दिव्वेणं वण्णेणं, दिव्वेणं गंधेणं, दिव्वेणं फासेणं, दिव्वेणं संघयणेणं, दिव्वेणं संठाणेणं, दिव्वाए इड्डीए, दिव्वाए जुईए, दिव्वाए पभाए, दिव्वाए छायाए, दिव्वाए अच्चीए, दिव्वेणं तेएणं, दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा, पभासेमाणा, ते णं तत्थ साणं साणं भवणावाससयसहस्साणं, साणं साणं सामाणियसाहस्सीणं, साणं साणं तायत्तीसाणं, साणं साणं लोगपालाणं, साणं साणं अग्गमहिसीणं, साणं साणं परिसाणं, साणं साणं अणियाणं, साणं साणं अणियाहिवईणं, साणं साणं आयरक्ख देवसाहस्सीणं, अण्णेसिं च बहूणं भवणवासीणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणा ईसर सेणावच्चं कारेमाणा, पालेमाणा, महया हय - णट्ट - गीय-वाइय-तंति-तलतालतुडिय - घणमुइंग पडुप्पवाइय रवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणा विहरंति ॥ १०६ ॥
कठिन शब्दार्थ - पुक्खर कण्णिया संठाणसंठिया - पुष्कर कर्णिका संस्थान संस्थित-कमल की कर्णिका के आकार में संस्थित, उक्किण्णंतर विउल गंभीर खायफलिहा - उत्कीर्ण अंतर विपुल गंभीर खात परिखा अर्थात् खोदी हुई जिनका अंतर स्पष्ट दिखाई देता है ऐसी गहरी और विस्तीर्ण खाइयाँ और परिखाएं, पागार ट्टालय कवाड तोरण पडिदुवार देसभागा प्राकार, अट्टालक, कपाट, तोरण और प्रतिद्वार रूप देशभाग-विभाग जिसमें हैं, जंतसयग्घि- मुसल - मुसंढि परियारिया - यंत्र, शतघ्नी, मूसल, मुसंढी से परिवारित-युक्त, अउज्झा - अयोध्य - जहां दूसरों द्वारा युद्ध करना अशक्य हो, सयाजयासदाजयी, सयागुत्ता - सदा गुप्त, अडयाल कोट्ठग रइया - अडतालीस प्रकार की रचना युक्त कोष्ठक, अडयाल कय वणमाला - अडयालकृत वनमाला - अडतालीस प्रकार की भिन्न रचना वाली वनमाला या प्रशस्त रचना वाली वनमालाएँ, खेमा क्षेम-उपद्रव से रहित, सिवा - शिव - सदा मंगलयुक्त, किंकरामर दंडोवरक्खिया - किंकरामरदंडोपरक्षिता-चाकर रूप देवों द्वारा चारों ओर से रक्षित, लाउलोइयमहिया - लीपने और पोतने से सुशोभित, गोसीस - सरस रत्तचंदण दद्दरदिण्ण पंचगुलितलागोशीर्ष सरस रक्त चंदन दर्दर दत्त पंचागुलितल - गोशीर्ष चन्दन और रक्त चंदन से पांचों अंगुलियों द्वारा लगे हुए छापे, आसत्तोसत्त विडल वट्ट वग्घारिय मल्लदाम कलावा आसक्त उत्सक्त विपुल वृत्त
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