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प्रथम प्रज्ञापना पद - पंचेन्द्रिय जीव प्रज्ञापना
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दीविया, अच्छा, तरच्छा, परस्सरा, सियाला, बिडाला, सुणगा, कोलसुणगा, कोकंतिया, ससगा, चित्तगा, चित्तलगा (चिल्ललगा), जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं सणप्फया।
ते समासओ दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - समुच्छिमा य गब्भवक्कंतिया य। तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे णपुंसगा। तत्थ णं जे ते गब्भवक्कंतिया ते तिविहा पण्णत्ता। तंजहा - इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा। एएसि णं एवमाइयाणं थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं दस जाइ कुलकोडि प्पमुह सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं। से तं चउप्पय थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया॥५१॥
कठिन शब्दार्थ - एगखुरा - एकखुरा-एक खुर वाले, दुखुरा - द्विखुरा-दो खुर वाले, गंडीपयागण्डीपदा-सुनार की एरण जैसे पैर वाले, सणप्फया - सनखपदा-नख सहित पैरों वाले।
भावार्थ - प्रश्न - स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक दो प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार हैं - १. चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक और २. परिसर्प-स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक। . प्रश्न - चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक चार प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. एकखुरा २. द्विखुरा ३. गण्डीपदा और ४. सनखपदा। . प्रश्न - एक खुरा कितने प्रकार के कहे गये हैं?
उत्तर - एक खुरा अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - अश्व, अश्वतर (खच्चर), घोडा, गर्दभ (गधा), गोरक्षर, कन्दलक, श्रीकंदलक, आवर्तक। इसी प्रकार के अन्य जितने भी प्राणी हैं उन्हें एकखुर स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक समझना। इस प्रकार एकखुरों का वर्णन हुआ।
प्रश्न - द्विखुरा-दो खुर वाले कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - दो खुर वाले अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - ऊंट, गाय, गवय, रोझ, पशुक, महिष, मृग, सांभर, वराह, अज, एलक, रुरु, सरभ, चमर, कुरंग, गोकर्ण आदि। इसी प्रकार के अन्य जितने भी प्राणी हैं उन्हें द्विखुरा समझना चाहिए। इस प्रकार दो खुर वाले कहे गये हैं।
पैर के बीच में जो चिरा सरीखा लगा हुआ दिखाई देता हो उसे खुर कहते हैं। प्रश्न - गण्डीपदा कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - गण्डीपदा अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - हाथी, हस्तिपूतनक, मत्कुणहस्ती, खड्गी, गेंडा। इसी प्रकार के अन्य जो भी प्राणी हैं उन्हें गण्डीपदा में समझना चाहिए।
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