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प्रज्ञापना सूत्र
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उत्तर - जो जीव माता-पिता के संयोग के बिना ही, गर्भ या उपपात के बिना उत्पन्न होते हैं वे सम्मूर्छिम कहलाते हैं। सम्मूर्छिम सब नपुंसक ही होते हैं। क्योंकि उनके केवल नपुंसक वेद का ही उदय होता है।
प्रश्न - गर्भव्युत्क्रान्तिक (गर्भज) किसे कहते हैं ?
उत्तर - जो जीव गर्भ में उत्पन्न होते हैं, वे माता पिता के संयोग से उत्पन्न होने वाले गर्भव्युत्क्रांतिक (गर्भज) कहलाते हैं। गर्भज तीन प्रकार के होते हैं - १. स्त्री २. पुरुष और ३. नपुंसक। अर्थात् गर्भज तीनों वेदी होते हैं।
यद्यपि उपरोक्त जलचरों के नामों में कुछ नामों का ही वर्णन किया है। आदि शब्द से शेष नामों को भी समझ लेना चाहिये ऐसा बताया है उन शेष नामों में जलचरों के ५ भेदों में से मत्स्य नाम के भेद के अन्तर्गत मेंढ़क को भी समझना चाहिये, जलचर जीवों के शरीर की इसमें समानता है चाहे वह स्थल में भी रहता हो फिर भी वह जलचर गिना जाता है। ___ जल में जो सर्प दिखाई देते हैं उन्हें उरपरिसर्प नहीं समझ कर सर्पाकार मत्स्य के प्रकार समझना चाहिये क्योंकि मत्स्यों के असंख्यात प्रकार बताये गये हैं।
से किं तं थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया? थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - चउप्पय थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया य परिसप्प थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया य।
से किं तं चउप्पय थलयर पंचिंदिय-तिरिक्ख जोणिया? चउप्पय थलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया चउव्विहा पण्णत्ता। तंजहा - एगखुरा, दुखुरा, गंडीपया, सणप्फया।
से किं तं एगखुरा? एगखुरा अणेगविहा पण्णत्ता। तंजहा - अस्सा, अस्सतरा, घोडगा, गद्दभा, गोरक्खरा, कंदलगा, सिरिकंदलगा, आवत्तगा, जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं एगखुरा।
से किं तं दुखुरा? दुखुरा अणेगविहा पण्णत्ता तं जहा - उट्टा, गोणा, गवया, रोज्झा, पसया, महिसा, मिया, संबरा, वराहा, अया, एलग-रुरु-सरभ-चमर-कुरंगगोकण्णमाई, जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं दुखुरा।
से किं तं गंडीपया? गंडीपया अणेगविहा पण्णत्ता तं जहा - हत्थी, हत्थीपूयणया, मंकुणहत्थी, खगा (ग्गा), गंडा, जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं गंडीपया।
से किं तं सणप्फया? सणप्फया अणेगविहा पण्णत्ता तंजहा - सीहा, वग्घा,
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