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भगवती सूत्र-ा. २५ उ. 3 मंस्थान के प्रदेश
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विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि, तेयोगपएमोगाढा वि, दावर जुम्मपएसोगाढा वि, णो कलियोगपएसोगाढा । चउरंसा जहा वट्टा।
भावार्थ-३४ प्रश्न-हे भगवन् ! यस संस्थान कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ हैं?
३४ उत्तर-हे गौतम ! ओघादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ हैं, किन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं। विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ भी हैं, व्योज प्रदेशावगाढ़ भी हैं और द्वापरयुग्म प्रदेशावगाढ़ भी हैं, परन्तु कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं। वृत संस्थान के समान चतुरस्र संस्थान भी जानना चाहिए।
३५ प्रश्न-आयया णं भंते ! संठाणा-पुच्छा ।
३५ उत्तर-गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, णो तेयोगपएसोगाढा, णो दावर जुम्मपएसोगाढा,णो कलियोगपएसोगाढा। विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि जाव कलियोगपएसोगाढा वि । ... भावार्थ-३५ प्रश्न-हे भगवन् ! आयत संस्थान कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ है?
___३५ उत्तर-हे गौतम ! ओघादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ हैं, परन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं। विधामादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ भी हैं यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ़ भी हैं।
३६ प्रश्न-परिमंडले णं भंते ! संठाणे किं कडजुम्मसमयठिईए तेयोगसमयठिईए, दावरजुम्मसमयठिईए, कलियोगसमयटिईए ? ।
३६ उत्तर-गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयठिईए जाव सिय कलि.
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