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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ३ संस्थान के प्रदेश ३२२७ भावार्थ-१८ प्रश्न-हे भगवन् ! वृत्त संस्थान कितने प्रदेश और कितने प्रदेशावगाढ़ कहा है? १८ उत्तर-हे गौतम ! वृत्त संस्थान दो प्रकार का कहा है । यथाघनवृत्त और प्रतरवृत्त । प्रतरवृत्त के दो भेद कहे हैं । यथा-ओजप्रदेशिक और युग्मप्रदेशिक । इनमें से ओजप्रदेशिक प्रतरवृत्त जघन्य पंच प्रदेशिक और पंच प्रदेशावगाढ़ तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय प्रदेशावगाढ़ होता है । युग्मप्रदेशिक प्रतरवृत्त जघन्य बारह प्रदेशिक और बारह प्रदेशावगाढ़ तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय प्रदेशावगाढ़ होता है। घनवत्त संस्थान दो प्रकार का कहा है। यथा-ओजप्रवेशिक और युग्मप्रदेशिक । ओजप्रदेशिक नधन्य सप्त प्रदेशिक और सप्त प्रदेशावगाढ़ तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय प्रदेशावगाढ़ होता है। युग्म प्रदेशिक घनवृत्त संस्थान जघन्य बत्तीस प्रदेशिक और बत्तीस प्रदेशावगाढ़ तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय प्रदेशावगाड़ होता है। १९ प्रश्न-तंसे गं भंते ! संठाणे कइपएसिए कइपएसोगाढे पण्णते? ___ १९ उत्तर-गोयमा ! तसे णं संठाणे दुविहे पण्णत्ते । तं जहाघणतंसे य पयरतंसे य । तत्थ णं जे से पयरतंसे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य । तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं तिपएसिए तिपएसोगाढे पण्णत्ते, उकोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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