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भगवती सूत्र-गः ४१ उ. ११३--१९६
सरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा । 'सेवं भंते० । ११३-१४० उद्देसा समत्ता।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! राशि-युग्म में कृतयुग्म राशि मिथ्यादष्टि नरयिक कहाँ से आते हैं ?
१ उत्तर-यहां भी मिथ्यादृष्टि के अभिलाप से अभवसिद्धिक जीवों के समान अट्ठाईस उद्देशक जानना चाहिये ।
१ प्रश्न-कण्हपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मणेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति ?
१ उत्तर-एवं एत्थ वि अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायवा । 'सेवं भंते० १४१-१६८ उद्देसा समत्वा ।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! राशि-युग्म में कृतयुग्म राशि कृष्णपाक्षिक नरयिक कहां से आते हैं ?
१ उत्तर-यहां भी अभवसिद्धिक के समान अट्ठाईस उद्देशक कहना।
१ प्रश्न-सुक्कपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मणेरड्या णं भंते ! कओ उववज्जति ?
१ उत्तर--एवं एत्थ वि . भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति । एवं एए सब्वे वि छण्णज्यं उद्देसगसयं भवंति रासीजुम्मसयं । जाव सुक्कलेस्सा सुक्कपक्खियरासीजुम्मकलिओगवेमाणिया जाव जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव अंतं करेंति ? (उत्तर) णो इणटे समटे । 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' त्ति ॥ १६९.-१९६ ॥ __ भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं तिखुत्तो आयाहिण-पया
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