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शतक ४०
(संज्ञी महायुग्म शतक)
अवांतर शतक १ १ प्रश्न-कडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिंदिया णं भंते ! कओ उवबज्जति ?
१ उत्तर-उववाओ चउसु वि गईसु । संखेजवासाउयअसंखेजवासाउयपजत्तअपजत्तएसु य ण कओ वि पडिसेहो जाव 'अणुत्तरविमाण' त्ति । परिमाणं अवहारो ओगाहणा य जहा असण्णिपंचिंदियाणं।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! कृतयुग्मकृतयुग्म राशि संज्ञी पञ्चेन्द्रिय जीव कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! चारों गतियों से आते हैं। संख्यात वर्ष और असंख्यात वर्ष की आयु वाले, पर्याप्त और अपर्याप्त जीवों से आते हैं। निषेध किसी गति का भी नहीं है, यावत् अनुत्तर विमान पर्यन्त । परिमाण, अपहार और अवगाहना असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय के समान ।
२-वेयणिजवजाणं सत्तण्हं पगडीणं बंधगा वा अबंधगा वा, वेयणिज्जस्स बंधगा, णो अबंधगा। मोहणिजस्स वेयगा वा अवेयगा वा, सेसाणं सत्तण्ह विवेयगा, णो अवेयगा। सायावेयगा वा असाया
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