________________
३७६४
भगवती सूत्र - श. ३६ अवान्तर शतक ९-१२
भाणियव्वाणि । णवरं सम्मत्त - णाणा णि णत्थि सेसं तं चेव । एवं
एयाणि बारस बेइंदियमहाजुम्मसयाणि भवंति ।
Jain Education International
* 'सेवं भंते ! सेवं भंते' ! त्ति
|| बेइंदियमहाजुम्मसयाई समत्तं ॥
॥ छत्तीसह सयं समत्तं ॥
- जिस प्रकार भवसिद्धिक बेइन्द्रिय जीवों के चार शतक कहे, उसी प्रकार अभवसिद्धिक बेइन्द्रियों के भी चार शतक कहने चाहिये। इनमें सम्यक्त्व और ज्ञान नहीं होता । शेष पूर्ववत् । ये बारह बेइन्द्रिय महायुग्म शतक हैं। 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं ।
1
॥ छत्तीसवें शतक के बारह अवांतर शतक सम्पूर्ण ||
॥ छत्तीसवां शतक सम्पूर्ण ॥
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org