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भगवती सूत्र-श. ३५ अवान्तर शतक ९--१२
तहेव णो इणटे समढे। एवं एयाई बारस एगिदियमहाजुम्मसयाई भवंति।
* 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति *
॥ पणतीसइमं सयं समत्तं ॥ भावार्थ-जिस प्रकार भवसिद्धिक एकेन्द्रिय के चार शतक कहे, उसी प्रकार अमवसिद्धिक एकेन्द्रिय के भी लेश्या सहित चार शतक कहना चाहिये । 'सर्वप्राण यावत् सर्वसत्त्व पहले उत्पन्न हुए हैं ?' इस प्रश्न के उत्तर में यह अर्थ समर्थ नहीं है'-ऐसा जानना चाहिये । इस प्रकार ये बारह एकेन्द्रिय महायुग्म शतक हैं।
___ 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैकह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ पैंतीसवें शतक के बारह अवान्तर शतक सम्पूर्ण ॥
॥ पैतीसवाँ शतक सम्पूर्ण ॥
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