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________________ ३७५६ भगवती सूत्र - श. ३५ अवान्तर शतक ६ उत्तर - गोयमा ! णो इट्टे समट्ठे, सेसं तहेव ॥३५-५ ॥ || पणतीस मे सए पंचमं एगिंदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥ भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! भवसिद्धिक कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय जीव कहां से आते हैं ? १ उत्तर - हे गौतम ! औधिक शतक के अनुसार । इनके ग्यारह उद्देशकों में प्रश्न - हे भगवन् ! क्या सर्वप्राण यावत् सर्वसत्त्व भवसिद्धिक कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेन्द्रियपने पहले उत्पन्न हुए हैं । उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है । अवांतर शतक ६ १ प्रश्न - कण्हलेस - भवसिद्धिय· कडजुम्म· कडजुम्म एगिंदिया ‍ भंते! कओहिंतो उववज्जंति ? ११ उत्तर - एवं कण्हलेस्सभवसिद्धियए गिदिएहि वि सयं बिइयसय कण्हलेस्ससरिसं भाणियव्वं ॥ ३५-६ ।। ॥ पणतीसहमे सए छ एगिंदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥ भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आते हैं ?. १ उत्तर - हे गौतम ! कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक एकेन्द्रिय के विषय में कृष्णलेश्या के दूसरे शतक के समान यह शतक भी कहना चाहिये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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