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________________ ३७४२ भगवती सूत्र-श. ३५ अवान्तर शतक १ उ. १ अणंता वा उववजंति, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो। भावार्थ-१६ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? १६ उत्तर-हे गौतम ! एक समय में अठारह, संख्यात असंख्यात या अनन्त उत्पन्न होते हैं । शेष सभी पूर्ववत्, यावत् 'पहले अनन्त बार उत्पन्न १७ प्रश्न-कडजुम्मकलिओगएगिदिया णं भंते ! कओहिंतो उववजंति ? १७ उत्तर-उववाओ तहेव । परिमाणं सत्तरस वा संखेजा वा असंखेन्जा वा अणंता वा सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो। ___भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! कृतयुग्मकल्योज राशि एकेन्द्रिय जीव कहां से आते हैं ? १७ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत्, परिमाण सत्रह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त उत्पन्न होते हैं । शेष पूर्ववत्, यावत् अनन्त बार उत्पन्न हुए हैं। १८ प्रश्न-तेओगकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कओहिंतो उव. वजंति ? १८ उत्तर-उपवाओ तहेव, परिमाणं बारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववजंति, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो। भावार्थ-१८ प्रश्न-हे भगवन् ! त्र्योजकृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय जीव कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं ? १८ उत्तर-हे गौतम ! उपपात पूर्ववत् । परिमाण एक समय में बारह Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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