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________________ भगवती सूत्र-श. ३५ अवान्तर शतक ? उ. १ ३७३३ सेत्तं कलिओगकलिओगे । से तेणटेणं जाव 'कलिओगकलिओगे'। कठिन शब्दार्थ-अवहारसमया-अपहार समय । भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन ! सोलह महायुग्म कहने का कारण क्या है ? २ उत्तर-हे गौतम ! १ जिस राशि में से चार संख्या का अपहार करते हुए चार शेष रहें और उस राशि के अपहार समय भी कृतयुग्म (चार) हो, तो वह राशि 'कृतयुग्मकृतयुग्म' कहलाती है । २ जिस राशि में से चार संख्या के अपहार से अपहृत करते हुए तीन शेष रहें और उन राशि के अपहार समय भी कृतयुग्म हों, तो वह राशि ‘कृतयुग्मत्र्योज' कहलाती है । ३ जिस राशि में से चार संख्या के अपहार से अपहत करते हुए दो शेष रहें और उस राशि के अपहार समय कृतयुग्म हो, तो वह राशि 'कृतयुग्मद्वापरयुग्म' कहलाती है । ४ जिस राशि में से चार संख्या के अपहार से अपहृत करते हुए एक शेष रहें और उस राशि के अपहार समय कृतयुग्म हो, तो वह राशि 'कृतयुग्मकल्योज' कहलाती है। ५ जिस राशि में से चार संख्या के अपहार से अपहत करते हुए चार शेष रहें और उस राशि के अपहार समय व्योज हो, तो वह राशि 'त्र्योजकृतयुग्म' कहलाती है। ६ जिस राशि में से चार के अपहार से अपहत करते हुए तीन शेष रहें और उस राशि के अपहार समय व्योज (तीन) हो, तो वह राशि 'योजत्र्योज' कहलाती है । ७ जिस राशि में से चार संख्या के अपहार से अपहत करते हुए दो बचे और उस राशि के अपहार समय योज हो, तो वह राशि 'योजद्वापरयुग्म' कहलाती है । ८ जिस राशि में से चार संख्या से अपहृत करते हुए एक बचे और उस राशि के अपहार समय व्योज हो, तो वह राशि 'योजकल्योज' कहलाती है । ९ जिस राशि में से चार सख्या से अपहृत करते हुए चार शेष रहें और उस राशि के अपहार समय द्वापरयुग्म (दो) हो, तो वह राशि 'द्वापरयुग्मकृतयुग्म' कहलाती है । १० जिस राशि में से चार संख्या से अपहृत करते हुए तीन शेष रहें और उस राशि के अपहार समय द्वापरयुग्म हो, तो वह राशि 'द्वापरयुग्मयोज' कहलाती है। ११ जिस राशि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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