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________________ ३७२० भगवती सूत्र-श. ३४ अवान्तर शतक १ उ. २ विग्रहगति ४ उत्तर-हे गौतम ! औधिक उद्देशकानुसार । ५ प्रश्न-अणंतरोववण्णगएगिदियाणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता ? ५ उत्तर-गोयमा ! दोण्णि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेयणा. समुग्घाए य कसायसमुग्घाए य। भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! अनन्तरोपपन्नक एकेन्द्रिय जीव के कितने समुद्घात कहे हैं ? ५ उत्तर-हे गौतम ! दो समुद्घात कहे है । यथा-वेदना-समुद्घात और कषाय-समुद्घात । ६ प्रश्न-अणंतरोववण्णगएगिदिया णं भंते ! किं तुल्लटिईया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति-पुच्छा तहेव ? ' ६ उत्तर-गोयमा ! अत्थेगइया तुल्लट्टिईया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति, अत्यगइया तुल्लट्टिईया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति । . प्रश्न-से केणटेणं जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? उत्तर-गोयमा ! अणंतरोववण्णगा एगिदिया दुविहा पण्णता, तं जहा-अत्थेगहया समाउया समोववण्णगा, अत्थेगइया समाउया विसमोववाणगा । तत्थ णं जे ते समाउया समोववण्णगा ते णं तुल्ल. ट्टिईया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति । तत्थ णं जे ते समाउया विसमोवषण्णगा ते णं तुल्लटिईया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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