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________________ भगवती सूत्र-श. ३३ अवान्तर शतक १ भावार्थ-४ प्रश्न-हे भगवन् ! अनन्तरोपपत्रक बादर पृथ्वीकायिक जीव के कर्म-प्रकृतियां कितनी कही हैं ? ४ उत्तर-हे गौतम ! आठ कर्म प्रकृतियां कही हैं । यथा-ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय । इसी प्रकार यावत् अनन्तरोपपन्नक बादर वनस्पतिकायिक पर्यन्त । ५ प्रश्न-अर्णतरोववण्णगसुहमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ बंधंति ? __ ५ उत्तर-गोयमा ! आउयवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधति। एवं जाव अणंतरोववण्णगबायरवणस्सइकाइय ति । भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! अनन्तरोपपन्नक सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव । कर्मप्रकृतियां कितनी बांधते हैं ? ५ उत्तर-हे गौतम ! आयु-कर्म के अतिरिक्त शेष सात कर्म प्रकृतियां बांधते है । इसी प्रकार यावत् अनन्तरोपपन्नक बादर वनस्पतिकायिक पर्यन्त । ६ प्रश्न-अणंतशेववष्णगसुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कह कम्मप्पगडीओ वेदेति ? ६ उत्तर-गोयमा ! चउद्दस कम्मप्पगडीओ वेदेति, तं जहाणाणावरणिज्ज, तहेव जाव पुरिसवेयवज्झं। एवं जाव अर्णतरोववण्णगबायरवणस्सइकाइय त्ति । 'सेवं भंते.' !। ३३-२ । भावार्ष-६ प्रश्न-हे भगवन् ! अनन्तरोपपन्नक सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव कर्मप्रकतियां कितनी वेदते हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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