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________________ भगवती मूत्र-ग. ३३ अवान्तर शतक १ ३६६३ . ___ भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वी कायिक जीव के कितनी कर्म-प्रकृतियां कही हैं ? ५ उत्तर-हे गौतम ! आठ कर्म प्रकृतियां कही हैं । यथा-ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय । ६ प्रश्न-पजत्तसुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ? ६ उत्तर-गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पराडीओ पण्णत्ताओ, तं जहाणाणावरणिजं जाव अंतराइयं । - भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन् ! पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव के कितनी कर्म-प्रकृतियां कही हैं ? .६ उत्तर-हे गौतम ! आठ कर्म-प्रकृतियां कही है । यथा-ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय। ...७ प्रश्न-अपजत्तबायरपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ? ७ उत्तर-गोयमा ! एवं चेव । भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक जीव के कितनी कर्म-प्रकृतियां कही हैं ? ७ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । ८ प्रश्न-पजत्ताबायरपुढविकाइयाणं भंते ! कह कम्मप्पगडीओ०? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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