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________________ भगवती सूत्र - श. ३१ उ. ७-२८ समुच्चय उत्पत्ति १ उत्तर - एवं जहेब ओहिओ कण्हलेस्सउद्देसओ तहेव णिरवसेसं चउसु वि जुम्मेसु भाणियन्वो जाव प्रश्न - अहेसत्तमपुढविकण्हलेस्सखड्डाग कलिओगणेरड्या णं भंते! कओ उववज्जति ? उत्तर - aa | * 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' त्ति ३६५४ || इकतीस मे सए छट्टो उद्देसो समत्तो ॥ भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक क्षुद्रकृतयुग्म प्रमाण नैरयिक कहाँ से आ कर उत्पन्न होते हैं० ? १ उत्तर - हे गौतम ! औधिक कृष्णलेश्या के उद्देशक के अनुसार चारों युग्म का कथन करना चाहिये । प्रश्न - हे भगवन् ! अधः सप्तम पृथ्वी के कृष्णलेश्या वाले क्षुद्रकल्योज राशि प्रमाण नैरयिक कहाँ से आ कर उत्पन्न होते हैं ० ?" उत्तर - हे गौतम ! पूर्ववत् । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'-- कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं । Jain Education International ॥ इकतीसवें शतक का छठा उद्देशक सम्पूर्ण ॥ शतक ३१ उद्देशक ७ - २५ समुच्चय उत्पत्ति - नीललेस्सभवसिद्धिया चउसु वि जुम्मेसु तहेव भाणियव्वा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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