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शतक ३० उद्देशक २
अनन्तरोपपन्नक क्रियावादी०
➡ unit in Arran
१ प्रश्न - अनंतशेववण्णगा णं भंते ! णेरड्या किं किरिया
वाई - पुच्छा |
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१ उत्तर - गोयमा ! किरियाबाई वि जाव वेणहयवाई वि
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! अनन्तरोपपन्नक नैर थिंक क्रियावादी हैं० ? १ उत्तर- हे गौतम! क्रियावादी भी है यावत् विनयवादी भी हैं । २ प्रश्न - सलेस्सा णं भंते ! अनंतरोववण्णगा रहया किं किरिया वाई० ?
२ उत्तर - एवं चेव, एवं जहेव पढमुद्देसे जेरइयाणं वतव्वया ata se विभाणियन्त्रा । णवरं जं जस्स अत्थि अनंत रोववण्णगाणं इह रहाणं तं तस्स भाणियव्वं । एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं । वरं अतरोववण्णगाणं जं जहिं अत्थि तं तहिं भाणियव्वं ।
भावार्थ - २ प्रश्न - हे भगवन् ! सलेशी अनन्तरोपपन्नक नैरयिक क्रियावादी
हैं ० ?
२ उत्तर - हे गौतम! प्रथम उद्देशंक के समान । किन्तु अनन्तरोपपत्रक नैरयिक में जो संभव हो, उसी का निरूपण करना चाहिये। इसी प्रकार सर्व : जीव यावत् वैमानिक पर्यन्त । अनन्तरोपपत्रक जीव में जहां जो संभव हो,
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