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भगवती सूत्र-श. ३० उ. १ समवसरण
२८ उत्तर-गोयमा ! जहा मणपजवणाणी। अकिरियावाई अण्णाणियवाई वेणइयवाई य चउन्विहं पि पकरेंति । जहा ओहिया तहा सलेस्सा वि। .
भावार्थ-२८ प्रश्न-हे भगवन् ! क्रियावादी पञ्चेनिय तियंच जीव, नैरयिक का आयु बांधते हैं ?
- २८ उत्तर-हे गौतम ! इनका बन्ध मनःपर्यव ज्ञानी के तुल्य है। अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी पञ्चेन्द्रिय तियंच-योनिक जीव, चारों प्रकार का आयु बांधते हैं। सलेशी जीव का निरूपण औधिक तिर्यंच पंचेन्द्रिय के सदृश है। । २९ प्रश्न-कण्हलेस्सा णं भंते । किरियावाई पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं रहयाउयं-पुच्छा ?
२९ उत्तर-गोयमा ! णो रहयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्ख०, णो मणुस्साउयं०, णो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावाई अण्णाणियवाई वेणइयवाई चउन्विहं पि पकरेंति । जहा कण्हलेस्सा एवं णीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि, तेउलेस्सा जहा सलेस्सा । णवरं अकिरियावाई, अण्णाणियवाई, वेणइयवाई य णो णेरइयाउयं पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पिपकरेंति, मणुस्साउयं पिपकरोति । एवं. पम्हलेस्सा वि, एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियव्वा । कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउब्विहं पि आउयं पकरेंति । सुकपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मदिट्ठी जहा मणपज्जवणाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेंति।
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