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________________ भगवती सूत्र - श ३० उ. १ समवसरण पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि करेंति, देवा उयं पि पकरेंति । एवं अण्णाणियवाई वि, वेणहयवार्ड वि । जहा तेउलेस्सा एवं पम्हलेस्सा वि सुकलेस्सा वि णायव्वा । भावार्थ - १६ प्रश्न - हे भगवन् ! तेजोलेशी अक्रियावादी जीव, नैरयिक का आयु बांधते हैं ? ३६१९ १६ उत्तर - हे गौतम! नैरयिक का आयु नहीं बांधते, किन्तु तियंच, मनुष्य और देव का आयु बांधते हैं । इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी जीव भी । तेजोलेशी जीव के समान पद्मलेशी और शुक्ललेशी जीव भी जानना चाहिये । १७ प्रश्न - अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं णेरइयाउयं पुच्छा । १७ उत्तर - गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिख०, जो मणु०, णो देवाउयं पकरेंति । भावार्थ - १७ प्रश्न - हे भगवन् ! अलेशी क्रियावादी जीव, नैरयिक का बांधते हैं ? १७ उत्तर - हे गौतम! वे नरयिक, तिथंच मनुष्य और देव, किसी का भी आयु नहीं बांधते । १० प्रश्न - कण्हपक्खिया णं भंते! जीवा अकिरियाबाई किं रइयाउयं पुच्छा । १८ उत्तर - गोयमा ! रइयाउयं पिपकरेंति एवं चउवि पि । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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