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________________ भगवती गूत्र-श ३० उ. १ ममवसरण ३६१७ १२ उत्तर-गोयमा ! णेरइयाउयं पि पकरेंति जाव देवाउयं पि पकरेंति । एवं अण्णाणियवाई वि, वेणइयवाई वि । भावार्थ-१२ प्रश्न-हे भगवन् ! अक्रियावादो जीव, नरयिफ का आयु बांधते हैं ? १२ उत्तर-हे गौतम ! नरयिक यावत् देव का आय बांधते हैं। इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवाटी भी। १३ प्रश्न-सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं णेरइयाउयं पकरेंति-पुच्छा। १३ उत्तर-गोयमा ! णो णेरइयाउयं एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सा वि चउहि वि समोसरणेहिं भाणियव्वा । ____भावार्थ-१३ प्रश्न-हे भगवन् ! सलेशी क्रियावादी जीव, नरयिक का आयु बांधते हैं ? १३ उत्तर-हे गौतम ! नरयिक का आय नहीं बांधते इत्यादि औधिक ‘जीव के समान सलेशी में चारों समवसरण कहना चाहिये। १४ प्रश्न-कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं णेरझ्याउयं पकरेंति-पुच्छा। ___१४ उत्तर-गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति,मणुस्साउयं पकरेंति,णो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावाई अण्णाणियवाई वेणइयवाई य चत्तारि वि आउयाई पकरेंति । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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