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________________ ३६१० भगवती सूत्र-श. ३० उ. १ समवमरण ५ उत्तर-गोयमा ! णो किरियावाई, अकिरियावाई, अण्णा. णियवाई वि, वेणइयवाई वि । सुकपक्खिया जहा सलेस्सा । सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा । मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णपाक्षिक जीव क्रियावादी है. ? ५ उत्तर-हे गौतम ! क्रियावादी नहीं, अपितु अक्रियावादी है, अज्ञानवादी और विनयवादी भी है । शुक्लपाक्षिक जीव, सलेशी जीव के समान है। सम्यग्दृष्टि जीव, अलेशी जीव के समान है । मिथ्यादृष्टि जीव, कृष्णपाक्षिक जीव के समान है। ६ प्रश्न-सम्मामिच्छादिट्ठीणं-पुच्छा। ६ उत्तर-गोयमा ! णो किरियावाई, णो अकिरियावाई, अण्णाणियवाई वि, वेणइयवाई वि । णाणी जाव केवलणाणी जहा अलेस्से। अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया । आहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहमण्णोबउत्ता जहा सलेस्सा । णोसण्णोवउत्ता जहा अलेस्सा । सवेयगा जाव णपुंसगवेयगा जहा सलेस्सा । अवेयगा जहा अलेस्सा । सकसायी जाव लोभकसायी जाव सलेस्सा । अकसायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा । अजोगी जहा अलेस्सा। सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा। भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन्! सम्यमिथ्या(मिश्र) दृष्टि जीव क्रियावादी है०? ६ उत्तर-हे गौतम ! क्रियावादी नहीं, अक्रियावादी भी नहीं, किन्तु अज्ञानवादी है और विनयवादी भी है । ज्ञानी यावत् केवलज्ञानी जीव, अलेशी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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