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शतक २५ उद्देशक १
लेश्या का उल्लेख
१ प्रश्न-तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासीकह णं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ ?'
१ उत्तर-गोयमा ! छल्लेसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जहा पढमसए बिइए उद्देसए तहेव लेस्साविभागो । अप्पाबहुगं च जाव चउन्विहाणं देवाणं चउव्विहाणं देवीणं मीसगं अप्पाबहुगं ति ।
कठिन शब्दार्थ-मीसग-मिश्रक-सम्मिलित। * भावार्थ-१ प्रश्न-उस काल उस समय में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा-'हे भगवन् ! लेश्याएं कितनी कही गई हैं ?'
१ उत्तर-हे गौतम ! छह लेश्याएँ कही गई हैं। यथा-कृष्णलेश्या इत्यादि प्रथम शतक के दूसरे उद्देशक के अनुसार । लेश्याओं का विभाग और उनका अल्पबहत्व यावत् चार प्रकार के देव और चार प्रकार की देवियों का मिश्रित (सम्मिलित) अल्प-बहुत्व पर्यन्त । - विवेचन-यद्यपि लेश्याओं के नाम और स्वरूप का कथन प्रथम शतक में किया जा चुका है, तथापि अन्य प्रकरण के साथ इनका सम्बन्ध होने से लेश्या और उनके अल्पबहुत्व का कथन फिर किया है । यहाँ संसार-समापन्नक जीवों के योगों के अल्प-बहुत्व का कथन किया जा रहा है । इस प्रकरण से लेश्या का अल्प-बहुत्व भी कहा है।
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