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भगवती सूत्र - श. २६ उ १ नैरयिक के पाप-बन्ध
भावार्थ - २१ प्रश्न- हे भगवन् ! कृष्णपाक्षिक जीव ने आयु-कर्म बांधा था ०? २१ उत्तर - हे गौतम ! किसी जीव ने बांधा था, बांधता है और बांधेगा। किसी जीव ने बांधा था, नहीं बांधता है और आगे बांधेगा- ये दो भंग पाये जाते हैं । शुक्लपाक्षिक, सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि जीवों में चारों भंग पाये जाते हैं ।
२२ प्रश्न - सणामिच्छादिट्टी-पुच्छा ।
२२ उत्तर - गोयमा ! अत्येगइए बंधी ण बंध बंधिस्सइ, अत्थेगए बंधी बंधबंधिस्सह, णाणी जाव ओहिणाणी चत्तारि भंगा। भावार्थ - २२ प्रश्न - हे भगवन् ! सम्यग्मिथ्यादृष्टि जोव ने आयु कर्म बांधा था० ?
२२ उत्तर - हे गौतम! किसी जीव ने बांधा था, नहीं बांधना है और बांधेगा। किसी जीव ने बांधा था, नहीं बांधता है और नहीं बांधेगा- ये दो भंग पाये जाते है। ज्ञानो यावत् अवधिज्ञानी जीवों में चारों भंग पाये जाते हैं।
२३ प्रश्न - मणपज्जवणाणी - पुच्छा |
२३ उत्तर - गोयमा ! अत्येगइए बंधी बंधड़ बंधिस्सह, अत्येग ए बंध बंधिस्स, अत्थेगइए बंधी ण बंध ण बंधिस्सह । केवलजाणे चरमो भंगो | एवं एएणं कमेणं णोमण्णोवउत्ते विश्यविहूणा जदेव मणपज्जवणा । अवेयए अकसायी य तइय- चउत्था जहेव सम्मामिच्छत्ते । अजोगिम्मिं चरिमो सेसेसु परसु चत्तारि भंगा जाव अणागारोवउत्ते ।
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