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________________ भगवती सूत्र-श. २६ उ. १ जीव ने कर्म का बन्ध किया, करता है. करेगा? ३५५५ ४ किसी जीव ने पापकर्म बांधा था, नहीं बांधता है और आगे भी नहीं बांधेगा। ___ २ प्रश्न-सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधो बंधइ बंधिस्सइ २ बंधी बंधइ ण बंधिस्मइ पुच्छा ।। २ उत्तर-गोयमा ! १ अत्थेगइए बंधी बंधह बंधिस्सइ, अथे. गइए एवं चउभंगो। : भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! सलेशी जीव ने पापकर्म बाँधा था, बांधता है और बांधेगा ? अथवा बांधा था, बांधता है और नहीं बांधेगा आदि०? २ उत्तर-हे गौतम ! किसी जीव ने पापकर्म बांधा था, बांधता है और बांधेगा आदि चारों भंग। ३ प्रश्न-कण्हलेस्मे णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा। ३ उत्तर-गोयमा ! अत्थेगइए बंधी बंधह बंधिस्मइ, अत्थेगइए बंधी बंधह ण बंधिस्सइ, एवं जाव पम्हलेस्से । सव्वत्थ पढम बिइयभंगा । सुकलेस्से जहा सलेस्से तहेव चउभंगो। . ___ भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णलेशी जोव ने पापकर्म बांधा था, बांधता है और बांधेगा ? - ३ उत्तर-हे गौतम ! १ किसी जीव ने पापकर्म बांधा था, बांधता है और बांधेगा। २ किसी जीव ने पापकर्म बांधा था, बांधता है, किन्तु आगे नहीं बांधेगा। इसी प्रकार पद्मलेशी पर्यन्त । इन सभी में पहला और दूसरा-ये यो भंग होते हैं । शुक्ललेशी के लिए सलेशी के समान चार भंग जानो। . ४ प्रश्न-अलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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