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शतक २६
(बन्धी शतक)
णमो सुयदेवयाए भगवईए। जीवा य लेस्स पक्खिय दिहि अण्णाण णाण सण्णाओ। वेय कसाए जोग उवओग एकारस वि ठाणा ॥ भगवती श्रुत-देवता को नमस्कार हो ।
भावार्थ-इस शतक में ग्यारह उद्देशक हैं। उनका विषय क्रमशः इस प्रकार है--१ जीव २ लेश्या ३ पाक्षिक (शुक्लपाक्षिक और कृष्णपाक्षिक) ४ दृष्टि ५ अज्ञान ६ ज्ञान ७ संज्ञा ८ वेद ९ कषाय १० योग और ११ उपयोग। ग्यारह उद्देशकों में उपर्युक्त द्वारों से बन्ध विषयक निरूपण किया जायगा।
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