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________________ ३४८२ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ७ स्थिति द्वार पूर्वकोटि वर्ष तक होते हैं । सूक्ष्म-संपराय का काल निग्रंथ के समान और यथाख्यात संयत का सामायिक संयत के समान है। ७९ प्रश्न-सामाइयसंजया णं भंते ! कालओ केवचिरं होति ? ७९ उत्तर-गोयमा ! सध्वद्धं । भावार्थ-७९ प्रश्न-हे भगवन् ! सामायिक संयत (बहुत) कितने काल तक होते हैं ? ७९ उत्तर-हे गौतम ! वे सर्वाद्धा (सभी काल) होते हैं। ८० प्रश्न-छेओवट्ठावणिएसु-पुच्छा। ८० उत्तर-गोयमा ! जहणणेणं अड्ढाइन्जाई वासप्तयाई, उको. सेणं पण्णासं सागरोवमकोडिसयसहस्साई । कठिन शब्दार्थ-पण्णासं-पचास । भावार्थ-८० प्रश्न-हे भगवन् ! छेदोपस्थापनीय संयत (बहुत) कितने काल तक होते हैं ? ८० उत्तर-हे गौतम ! जघन्य ढाई सौ वर्ष और उत्कृष्ट पचास लाख करोड़ सागरोपम तक होते हैं। ---- ८१ प्रश्न-परिहारविसुद्धिएसु-पुच्छा। ८१ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं देसूणाई दो वाससयाई उक्कोसेणं देसूणाओ दो पुव्वकोडीओ। ... भावार्थ-८१ प्रश्न-हे भगवन ! परिहारविशुद्धिक संयत (बहुत) कितने काल तक होते हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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