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________________ गई गच्छइ ? भगवती सूत्र - श. २५ उ. ७ गति द्वार २८ उत्तर - गोयमा ! देवगईं गच्छइ । प्रश्न- देवगई गच्छमाणे किं भवणवासीसु उववज्जेज्जा. वाणमंतरेसु उववज्जेज्जा, जोड़सिएस उववज्जेजा, वेमाणिपसु उववज्जेज्जा ? उत्तर - गोयमा ! णो भवणवासीसु उववज्जेज्जा-जहा कसायकुसीले । एवं छे ओवट्टावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए । सुहुमसंपराए जहा नियंठे । भावार्थ - २८ प्रश्न - हे भगवन् ! सामायिक संयत कालधर्म (मृत्यु) प्राप्त कर किस गति में जाते हैं ? ३,४५५ २८ उत्तर - हे गौतम! देवगति में जाते हैं । प्रश्न - हे भगवन् ! देवगति में जाते हुए क्या भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी या वैमानिक में उत्पन्न होते हैं ? उत्तर- हे गौतम! भवनपति में उत्पन्न नहीं होते इत्यादि कषाय-कुशीलवत्। इसी प्रकार छेदोपस्थापनीय संयत भी । परिहारविशुद्धिक संपत की गति पुलाक के समान और सूक्ष्म संपराय संयत की गति निर्ग्रन्थ के समान जानो । Jain Education International २९ प्रश्न - अहक्खाए -- पुच्छा । २९ उत्तर -- गोयमा ! एवं अहक्खायसंजए वि जाव अजहण्णमणुक्को सेणं अणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा, अत्थेगइए सिज्झड़ जाव अंत करेs | भावार्थ - २९ प्रश्न - हे भगवन् ! यथाख्यात संयत, कालधर्म प्राप्त कर किस गति में जाते हैं ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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