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________________ - भगवती सूत्र--ग. २५ उ. ७ स्थित-कल्प अस्थित-कल्प ३४४५ ८ उत्तर-हे गौतम ! सराग होते हैं, वीतराग नहीं । इसी प्रकार यावत सूक्ष्म-संपराय संयत पर्यन्त । यथाख्यात संयत निर्ग्रन्थ के समान है (३)। स्थित-कल्प अस्थित-कल्प ९ प्रश्न-सामाइयसंजए णं भंते । किं ठियकप्पे होजा, अट्टिय. कप्पे होजा ? ९ उत्तर-गोयमा ! ठियकप्पे वा होजा, अट्रियकप्पे वा होज्जा। भावार्थ-९ प्रश्न-हे भगवन ! सामायिक संयत स्थित-कल्प में होते हैं या अस्थित-कल्प में ? ९ उत्तर-हे गौतम ! स्थित कल्प में भी होते हैं और अस्थित कल्प में भो। १०. प्रश्न-छेओवट्ठावणियसंजए--पुच्छा। ...१० उत्तर-गोयमा ! ठियकप्पे होजा, णो अट्ठियकप्पे होजा। एवं परिहारविसुद्धियसंजए वि। सेसा जहा सामाइयसंजए । भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! छेदोपस्थापनीय संयत स्थित-कल्प में होते हैं या अस्थित-कल्प में ? १० उत्तर-हे गौतम ! स्थित-कल्प में होते हैं, अस्थित-कल्प में नहीं होते । इसी प्रकार परिहारविशुद्धि संयत भी । सूक्ष्म संपराय और यथाख्यात संयत का कथन सामायिक संयत के समान है। ११ प्रश्न-सामाइयसंजए णं भंते ! किं जिणकप्पे होजा, थेर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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