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________________ ३४२८ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ६ अन्तर द्वार भावार्थ १४३ प्रश्न - हे भगवन् ! स्नातक का अन्तर कितने काल का है ? १४३ उत्तर - हे गौतम ! अन्तर नहीं होता । १४४ प्रश्न - पुलायाणं भंते ! केवइयं कालं अंतरं होइ ? १४४ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं पक्कं समयं उकोसेणं संखेजाई वासाई | भावार्थ - १४४ प्रश्न - हे भगवन् ! पुलाकों का अन्तर कितने काल का होता है ? १४४ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट संख्यात वर्षों का । १४५ प्रश्न - बउसाणं भंते ! --पुच्छा । १४५ उत्तर -- गोयमा ! णत्थि अंतरं, एवं जाव कसा यकुसीलाणं । भावार्थ - १४५ प्रश्न - हे भगवन् ! बकुशों का अन्तर कितने काल का होता है ? १४५ उत्तर - हे गौतम! अन्तर नहीं होता। इसी प्रकार यावत् कषायकुशील तक । Jain Education International १४६ प्रश्न- नियंठाणं पुच्छा । " १४६ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा सिणायाणं जहा उसाणं ३० । भावार्थ - १४६ प्रश्न - हे भगवन् ! निग्रंथों का अन्तर कितने काल का होता है ? १४६ उत्तर - हे गौतम! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट छह मास का । स्नातकों का कथन नकुशों के समान । विबेधन - अन्तरद्वार में यह बताया है कि पुलाक आदि For Personal & Private Use Only पुनः कितने काल बाद www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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