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________________ भगवती सूत्र - श. २५ - ६ काल द्वार १३७ प्रश्न - बउसे पुच्छा । १३७ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं पक्कं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी | एवं पडिसेवणाकुसीले वि, कसायकुसीले वि । भावार्थर्थ - १३७ प्रश्न- हे भगवन् ! बकुशपन कितने काल तक रहता है ? १३७ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट देशोन पूर्वकोटि वर्ष । इसी प्रकार प्रतिसेवना-कुशील और कषाय- कुशील भी । १३८ प्रश्न - नियंठे - पुच्छा । १३८ उत्तर - गोयमा ! जहण्णेणं एवकं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं । Jain Education International ३४२५ و भावार्थ - १३८ प्रश्न - हे भगवन् ! निग्रंथपन कितने काल तक रहता है ? १३८ उत्तर - हे गौतम! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त । १३९ प्रश्न - सिणाए - पुच्छा । १३९ उत्तर- गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुष्कोडी | भावार्थ६- १३९ प्रश्न - हे भगवन् ! स्नातकपन कितने काल तक रहता है ? १३९ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट देशोन पूर्वकोटि वर्ष तक | विवेचन - पुलाकपन को प्राप्त हुए मुनि एक अन्तर्मुहूतं पूरा न हो, तब तक नहीं मरते एवं पुलाकपन से गिरते भी नहीं अर्थात् कषाय -कुशीलपन में अन्तर्मुहूर्त पहले जाते नहीं और पुलाकपन में तो मरते ही नहीं है । इसलिये उनका काल जमभ्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त का होता है । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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