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भगवती सूत्र - शं. २५ उ. ६ गति द्वार
केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
६५ उत्तर--गोयमा ! जहणेणं पलिओवमपुहुत्तं, उक्कोसेणं अारस सागरोवमा |
भावार्थ - ६५ प्रश्न - हे भगवन् ! देवलोक में उत्पन्न होते हुए पुलाक, feat काल की स्थिति में उत्पन्न होते हैं ?
६५ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य पल्योपम - पृथक्त्व और उत्कृष्ट अठारह सागरोपम की स्थिति में उत्पन्न होते हैं ।
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६६ प्रश्न- बउसस्स - पुच्छा ।
६६ उत्तर--गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमपुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई | एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।
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भावार्थ - ६६ प्रश्न - हे भगवन् ! देवलोक में उत्पन्न होते हुए बकुश, कितने काल की स्थिति में उत्पन्न होते हैं ?
६६ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य पल्योपम-पृथक्त्व और उत्कृष्ट बाईस सागरोपम की स्थिति में उत्पन्न होते हैं । इसी प्रकार प्रतिसेवना-कुशील मी ।
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६७ प्रश्न- कसायकुसीलस्स- -पुच्छा ।
६७ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं पलिओवमपुहुत्तं उकोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई |
भावार्थ-६७ प्रश्न-हे भगवन् ! देवलोक में उत्पन्न होते हुए कषायकुशील, कितनी स्थिति में उत्पन्न होते हैं ?
६७ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य पत्योपम-पृथक्त्व और उत्कृष्ट तेतीस
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