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________________ ३३६२ एवं जाव सिणांए । भगवती सूत्र - श. २५ उ. ६ कल्प द्वार कठिन शब्दार्थ-ठिय कप्पे-स्थित कल्प | भावार्थ - २२ प्रश्न - हे भगवन् ! पुलाक स्थित कल्प में होते हैं या अस्थित कल्प में ? २२ उत्तर - हे गौतम! वे स्थित कल्प में भी होते हैं और अस्थित कल्प में भी । इसी प्रकार यावत स्नातक पर्यंत । २३ प्रश्न -पुलाए णं भंते! किं जिणकप्पे होजा, थेरकप्पे होजा, कप्पाईए होजा ? २३ उत्तर -- गोयमा ! णो जिणकप्पे होजा, थेरकप्पे होजा, it कप्पाई होना । भावार्थ - २३ प्रश्न - हे भगवन् ! पुलाक जिनकल्प में होते हैं, स्थविरकल्प में होते हैं या कल्पातीत ? २३ उत्तर - हे गौतम! पुलाक जिनकल्प में नहीं होते, कल्पातीत भी नहीं होते, किन्तु स्थविरकल्प में होते हैं । २४ प्रश्न - बउसे णं-- पुच्छा | .. २४ उत्तर --गोयमा ! जिणकप्पे वा होज्जा, थेरकप्पे वा होज्जा, णो कप्पाईए होज्जा । एवं पडिसेवणाकुसीले वि। भावार्थ - २४ प्रश्न - हे भगवन् ! बकुश जिनकल्प में होते हैं० ? २४ उत्तर - हे गौतम ! बकुश जिनकल्प में और स्थविरकल्प में होते हैं, किन्तु कल्पातीत नहीं होते । इसी प्रकार प्रतिसेवना - कुशील भी । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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